भारत चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है। लेकिन समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन इस पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की इस सफलता पर खुशी जताई और ऐलान किया कि चंद्रमा 3 चंद्रमा के जिस स्थान पर लैंड हुआ है, उसका नाम “शिवशक्ति” रखा जाएगा। हालांकि सपा सांसद एसटी हसन को ये नाम पसंद नहीं आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐलान से आखिर सपा सांसद खुश क्यों नहीं है।
प्रधानमंत्री ने किया नाम का ऐलान
चंद्रयान 3 जिस दिन चंद्रमा पर लैंड हुआ, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थे। प्रधानमंत्री ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने गए थे। हालांकि उन्होंने वादा किया था कि वे जैसे ही भारत आएंगे, तो सबसे पहले इसरो पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री ने वहां पहुंचकर पूरी टीम को इस मिशन के लिए बधाई दी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चंद्रमा के जिस स्थान पर विक्रम लैंडर उतरा है, उस स्थान को अब शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका कारण भी बताया कि शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है। शक्ति से हमें उन संकल्प को पूरा करने का बल मिलता है। इसलिए आज से उस स्थान को शिवशक्ति के नाम से जाना जाएगा।
सपा सांसद ने किया विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही चंद्रयान 3 की लैंडिंग वाले स्थान का नामकरण किया, तो सपा सांसद को ये बिल्कुल नहीं भाया। सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि जहां चंद्रयान लैंड हुआ है उस स्थान का नाम हिंदुस्तान रखना चाहिए। दरअसल एसटी हसन का कहना था कि हम लोग तो प्यादे है और देश चलाते हैं। लेकिन हकीकत यह यह है कि जो कुछ करते हैं, वो तो वैज्ञानिक करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया है जो अमेरिका और रूस भी नहीं कर पाए। हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रायन 3 को वहां भेज दिया जहां रूस और अमरीका के भी यान नहीं पहुंच पाए। इसके बाद सपा सांसद ने कहा कि जिस जगह प्रज्ञान रोवर ने अपना पहला कदम रखा उसका नाम हिंदुस्तान रखना चाहिए। अपने बयान में उन्होंने आगे कहा कि चंद्रमा पर जाकर कौन देख रहा है कि उस स्थान का नाम रखा है या नहीं।
सपा सांसद के विरोध का ये है कारण
समाजवादी पार्टी के सांसद ने जब प्रधानमंत्री ने ऐलान पर आपत्ति दर्ज कराई, तो एक बात तो साबित हो गई कि विपक्षी पार्टियां हर फैसले पर केवल विरोध ही दर्ज कराती हैं। चाहें वो फैसले देश हित के हों, चाहें वो फैसले के वैज्ञानिकों के हित में हों। विपक्षी पार्टियां हर फैसले का विरोध करती हुई देखी जाती हैं। हालांकि आपको बता दें कि इसरो सहित पूरे देश ने प्रधानमंत्री के इस फैसले की सराहना की है।