उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच इस टक्कर को लोकसभा चुनाव के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष की तैयारियां कैसी हैं, इसका अंदाजा इस उपचुनाव से ही लग जाएगा। दोनों की पार्टियों ने घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत के लिए पूरी मेहनत की है। हालांकि अब किस पार्टी की मेहनत रंग लायेगी, ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन इससे पहले आंकड़ों पर नजर डालते हैं, कि आखिर आंकड़े क्या कहते हैं।
3 बार हुआ चुनाव, दो बार भाजपा ने मारी बाजी
घोसी विधानसभा सीट पर बीते 6 साल में यह चौथी मौका है, जब इस सीट पर चुनाव का आयोजन हो रहा है। इससे पहले इस विधानसभा सीट पर 3 बार चुनाव का आयोजन हो चुका है। जहां 3 बार के चुनाव में से 2 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है। दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी फागू चौहान ने इस सीट से जीत हासिल की थी। जहां इस विधानसभा सीट पर फागू चौहान ने माफिया मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी को हराया था। हालांकि इसके बाद फागू चौहान बिहार के राज्यपाल बनाए गए, जिस कारण से ये विधानसभा सीट खाली हो गई। इस कारण इस विधानसभा सीट पर 2019 में उपचुनाव का आयोजन हुआ। इसमें भी भाजपा ने जीत हासिल की। दरअसल भाजपा के विजय राजभर ने समाजवादी पार्टी प्रत्याशी सुधाकर सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। इसके बाद प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और समजवादी पार्टी में शामिल हो गए। जहां सपा प्रत्यासी दारा सिंह चौहान ने भाजपा प्रत्यासी विजय राजभर को हराकर जीत हासिल की। लेकिन 1 साल बाद दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और फिर से भाजपा में शामिल हो गए। इस कारण से घोसी विधानसभा सीट फिर से खाली हो गई।
समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में कांटे की टक्कर
प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को उपचुनाव का आयोजन होना है। लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने कांटे की टक्कर मानी जा रही है। भाजपा की तरफ से दारा सिंह चौहान, तो वहीं सपा की तरफ से इस विधानसभा सीट पर चुनाव के लिए सुधाकर सिंह को उतारा गया है। घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भाजपा के साथ साथ सपा के भी बड़े दिग्गज नेता प्रचार करने आए थे। हालांकि रविवार को चुनाव प्रचार बंद हो गया। इस उपचुनाव में आंकड़ों के अनुसार तो भारतीय जनता पार्टी की जीत दिख रही है, परंतु जब तक चुनाव संपन्न नहीं हो जाता, तब तक यह कहना मुश्किल होगा कि कौनसी पार्टी यह उपचुनाव जीतेगी। हालांकि यह उपचुनाव लोकसभा चुनाव के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह टक्कर एनडीए बनाम इंडिया के बीच है।