लोक पहल जन मंच

खबरें देश की, विचार देश के

Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
post
Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
post
Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
post

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन, लागू होने का बाद होगा फायदा या फिर नुकसान

News Content

देश में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार संसद में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पास करने की तैयारी में लगी हुई है। आपको बता दें कि वर्तमान में हमारे देश में लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव अलग- अलग होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि देश में लोकसभा चुनाव और राज्यसभा चुनाव एक साथ ही संपन्न हों। इसका अर्थ ये है कि अब लोगों को लोकसभा और विधानसभा के सदस्यों को चुनने के लिए साथ- साथ वोटिंग करनी होगी। इसके लिए एक कमेटी भी बनाई गई है ।

वन नेशन वन इलेक्शन की कमेटी में पूर्व राष्ट्रपति भी शामिल

देश में “वन नेशन वन इलेक्शन ” लागू हो सकता है या नही इसके अध्यन के लिए एक कमेटी भी बनाई है। इस कमेटी की अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करे रहे हैं। जहां कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट करेगी कि देश में लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभा का चुनाव एक साथ हो सकता है या नहीं। इसके लिए कमेटी केंद्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसको लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आवास पर कमेटी की मीटिंग भी आयोजित की गई थी। वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश स्वतंत्र होने के बाद वर्ष 1952,1957,1967 में लोकसभा चुनाव और राज्यसभा चुनाव एक ही साथ हुए लेकिन 1968 और 1969 के बाद कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग हो गई थीं और 1970 में लोकसभा भी भंग हो गई, जिसके बाद वन नेशन वन इलेक्शन संभव नहीं हो पाया।

वन नेशन वन इलेक्शन के लागू न होने के नुकसान

देश में हर साल बहुत सारे राज्यों में चुनाव होते रहते है, इससे देश के विकास कार्यों में बाधा पड़ती है, क्योंकि सरकार चुनाव में व्यस्त हो जाती है। इससे नीतियों के निर्धारण पर भी बुरा असर पड़ता है। आपको बता दें कि जो लोग इसका यह चाहते है की देश में वन नेशन वन इलेक्शन लागू हो जाय वो ओडिशा का भी उदाहरण देते हैं। उनका कहना है कि 2004 के बाद ओडिशा में जितने भी चुनाव हुए हैं, वो लोकसभा चुनाव के साथ हुए हैं, जिसका फायदा भीं हुआ है। जहां यह फायदे इस प्रकार हैं –

1. वन नेशन वन इलेक्शन में आचार संहिता भी थोड़े समय की लिए ही लागू होती है। अन्यथा लोकसभा के लिए अलग और राज्य विधानसभा के लिए अलग आचार संहिता लागू होती है ।

2. आचार संहिता जब कम समय के लिए होता है, तो ऐसे में सरकारी कामकाज में भी बाधा कम पड़ती है और वो स्वतंत्र रूप से अपने काम में लगे होते हैं।

3. लोकसभा चुनाव और राज्यसभा चुनाव अलग- अलग होने से खर्च भी बढ़ता है, जिससे वन नेशन वन इलेक्शन का पैसा बचता है, परंतु अलग- अलग समय पर होने से खर्च बढ़ जाता है ।

वन नेशन वन इलेक्शन से देश को लाभ

वन नेशन वन इलेक्शन से सरकार बार बार चुनाव में व्यस्त नही होंगी, जिससे विकास कार्यों में बाधा नहीं पड़ेगी। अलग चुनावो में जो खर्च बढ़ जाता है, वो कम हो जायेगा और आचार संहिता भी थोड़े समय के लिए लागू होगी। सरकार नीतियों का निर्धारण सही से करेंगी। इतना ही नहीं वन नेशन वन इलेक्शन के कारण देश के आम नागरिकों को भी चुनाव के लिए बार बार मतदान करने नहीं जाना होगा। 

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

[TWTR]