उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य में 6 से 14 वर्ष तक की आयु का कोई भी बच्चा विद्यालय से बाहर न रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को और अधिक मजबूत बनाना है, इसलिए प्राथमिक स्तर से ही सख्त निगरानी जरूरी है।
सीएम ने “स्कूल चलो अभियान” को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चे को स्कूल से जोड़ना सभी जिम्मेदारों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए दिए गए ठोस निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा कि केवल स्कूल में नामांकन कराना पर्याप्त नहीं है, बल्कि छात्रों की नियमित उपस्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक मिलकर यह सुनिश्चित करें कि स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) सक्रिय रूप से कार्य करे और बच्चों की पढ़ाई, संसाधनों का उपयोग, और समय पर पाठ्यक्रम पूरा होने पर नजर रखे।
सीएम ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए संसाधनों के बेहतर उपयोग पर भी बल दिया।
₹1200 की सहायता राशि DBT के ज़रिए भेजे जाएंगे
बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने यह भी घोषणा की कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी छात्रों के अभिभावकों के बैंक खातों में ₹1200 की राशि DBT के माध्यम से भेजी जाएगी। यह राशि छात्रों की यूनिफॉर्म, जूते-मोजे, स्टेशनरी और पाठ्य सामग्री की खरीद के लिए दी जाएगी। सीएम ने निर्देश दिए कि इस प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो। यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को समय पर सभी सामग्री प्राप्त हो जाए ताकि उनकी पढ़ाई में कोई बाधा न आए।
छात्रों की संख्या के आधार पर स्कूलों का होगा समायोजन
मुख्यमंत्री ने उन विद्यालयों पर विशेष ध्यान देने को कहा जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे स्कूलों को नजदीकी विद्यालयों में विलय (मर्ज) कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह निर्णय शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के हित में लिया जा रहा है ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके और छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलें। उन्होंने यह भी कहा कि जो भवन खाली होंगे, उनका उपयोग प्री-प्राइमरी स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्रों के रूप में किया जाए, जिससे बच्चों को शिक्षा की मजबूत नींव मिले।
शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में तेज़ी लाने का आदेश
शिक्षकों की कमी को लेकर मुख्यमंत्री ने चिंता जताई और निर्देश दिया कि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। उन्होंने कहा कि एक आदर्श शिक्षक-छात्र अनुपात बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। सीएम योगी ने साफ कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की ढिलाई या भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा, और अगर कोई अधिकारी इसमें लापरवाही करेगा, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पेयरिंग सिस्टम से बढ़ेगा संसाधनों का उपयोग और जवाबदेही
मुख्यमंत्री योगी ने विद्यालयों में पेयरिंग सिस्टम को व्यावहारिक और दूरदर्शी योजना बताया। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और संसाधनों का समुचित उपयोग संभव हो पाएगा। हालांकि कुछ जिलों में इसे लेकर विरोध की खबरें आ रही हैं, लेकिन सीएम ने स्पष्ट किया कि जो स्कूल 50 से अधिक छात्रों के साथ संचालित हो रहे हैं, उन्हें स्वतंत्र रूप से चलाया जाएगा, जिससे शैक्षणिक निगरानी और उत्तरदायित्व में मजबूती आएगी। खाली हुए भवनों में बाल वाटिकाएं और आंगनबाड़ी केंद्र स्थानांतरित किए जाएंगे, जिससे बच्चों की शुरुआती शिक्षा को बेहतर आधार मिलेगा।