भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या में विकास की एक नई कहानी लिखी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या को ‘भारत पथ’ नामक एक भव्य सड़क मिलने वाली है। यह मार्ग भगवान राम के छोटे भाई भरत की तपोस्थली भरतकुंड को अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों से जोड़ेगा। इस सड़क की कुल लंबाई 20 किलोमीटर होगी और इसकी लागत लगभग 900 करोड़ रुपये आंकी गई है।
रानोपाली रेलवे क्रॉसिंग से भरतकुंड तक नया भव्य मार्ग
यह पथ रानोपाली रेलवे क्रॉसिंग से शुरू होकर विद्याकुंड और दर्शननगर होते हुए भरतकुंड तक जाएगा। वर्तमान में यह टू-लेन मार्ग है, जिसे चौड़ा करके दोनों ओर 9-9 मीटर की सड़क बनाई जाएगी, साथ ही बीच में 2.5 मीटर चौड़ा डिवाइडर होगा। इसे राम पथ की तर्ज पर सुंदर, सुरक्षित और श्रद्धा से परिपूर्ण बनाया जाएगा।
अयोध्या में नए मार्गों से बढ़ रही सुविधा
राम मंदिर निर्माण के बाद देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अयोध्या आ रहे हैं। इस बढ़ती भीड़ को देखते हुए सरकार ने राम पथ, भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ और अब भरत पथ जैसे नए रास्ते बनाए हैं। साथ ही पंचकोसी और चौदहकोसी परिक्रमा मार्गों का चौड़ीकरण भी किया जा रहा है ताकि शहर और भी सुंदर और श्रद्धापूर्ण बन सके।
भरतकुंड: भगवान भरत की तपोस्थली और श्रद्धालुओं का पवित्र स्थल
भरतकुंड का संबंध रामायण काल से है। कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास गए थे, तब उनके भाई भरत ने 14 वर्षों तक अयोध्या न लौटकर यहीं तपस्या की थी। इसी स्थान पर उन्होंने राजा दशरथ का पिंडदान भी किया था। यहां एक पवित्र पौराणिक सरोवर है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन और स्नान के लिए आते हैं। यह स्थान विशेष रूप से प्रयागराज और पूर्वांचल से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
भरत पथ से मिलेगी श्रद्धालुओं को बड़ी राहत
‘भरत पथ’ के निर्माण से श्रद्धालुओं को आवागमन में बेहतर सुविधा मिलेगी, जिससे अयोध्या की यात्रा और अधिक सुरक्षित, सुलभ और आध्यात्मिक बन जाएगी। इस मार्ग पर खूबसूरत स्ट्रीट लाइटिंग भी लगाई जाएगी ताकि रात में भी श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।
काम को हरी झंडी मिलने का इंतजार
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एसपी भारती के मुताबिक, भरत पथ की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मुख्यालय को भेज दी गई है। सरकार से स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। योगी सरकार की यह पहल अयोध्या को विश्वस्तरीय धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।