भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन कक्षा में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में एक बड़ी छलांग है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने खुलासा किया कि चंद्रयान-4 को अगले ढाई साल में लॉन्च किया जाना है।
50 टन से अधिक होगा अंतरिक्ष स्टेशन का वजन
अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में बोलते हुए नारायणन ने कहा कि इसका वजन 50 टन से अधिक होगा। PSLV-C61/EOS-09 मिशन की हालिया विफलता को संबोधित करते हुए नारायणन ने इसे इसरो के अन्यथा मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड में एक अपवाद बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह झटका गगनयान जैसे भविष्य के मिशनों को पटरी से नहीं उतारेगा, जिसे उन्होंने भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
देश की सुरक्षा के लिए 57 उपग्रह और व्यापक सीमा निगरानी प्रणाली सक्रिय
इसरो प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने बताया कि उनका विभाग देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। भारत की 11,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और उत्तरी सीमा की व्यापक निगरानी के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी और प्रणालियां मौजूद हैं। नारायणन ने कहा कि वर्तमान में हमारे पास कक्षा में 57 उपग्रह हैं, जो मौसम पूर्वानुमान से लेकर दूरस्थ इलाकों में टेली-शिक्षा तक विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक समय डेटा और अपडेट प्रदान कर जनता की सेवा कर रहे हैं।
गगनयान का मानव रहित पहला मिशन जल्द होगा लॉन्च
अंतरिक्ष वैज्ञानिक नारायणन ने बताया कि इसरो अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान की तैयारी कर रहा है। उनका कहना है कि गगनयान का पहला मिशन मानव रहित परीक्षण उड़ान होगा, जिसे जल्द लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद चालक दल के साथ दो मिशन भी निकट भविष्य में लॉन्च किए जाएंगे।
अगले ढाई साल में लॉन्च किया जाएगा चंद्रयान-4
इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने बताया कि इसरो चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 पर कार्यरत है। जापान की मदद से चंद्रयान-5 में 6,400 किलोग्राम का लैंडर होगा, जो 350 किलोग्राम का रोवर लेकर जाएगा, जिसका जीवनकाल 100 दिन होगा। इसके मुकाबले, चंद्रयान-3 का लैंडर 1,600 किलोग्राम और रोवर 25 किलोग्राम का था। चंद्रयान-4, जो चंद्र सतह से नमूने लेकर आएगा, अगले ढाई साल में लॉन्च किया जाएगा। नारायणन ने कहा कि भारत ने पिछले दशकों में अंतरिक्ष अनुसंधान में बड़ी प्रगति की है और अब वह विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिला वैज्ञानिकों के योगदान पर भी प्रकाश डाला।