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सोमवार को लोकसभा में पेश होगा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल

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केंद्र सरकार ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करने की दिशा में अहम कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आगामी सोमवार यानि 16 दिसंबर को लोकसभा में ‘दी यूनियन टेरेटरीज (संशोधन) बिल, 2024’ और संविधान संशोधन बिल (100 और 29) पेश करेंगे। इन विधेयकों का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन करना है।

 

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में विधेयकों को मिली थी मंजूरी

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार, 10 दिसंबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इन विधेयकों को मंजूरी दी गई थी। इससे पहले, सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी थीं।प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा।

 

यह मुद्दा  भाजपा के 2014 और 2019 के चुनावी घोषणापत्रों में शामिल

भारतीय जनता पार्टी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही एक साथ चुनाव कराने पर जोर देती रही है। नीति आयोग ने 2017 में इस प्रस्ताव का समर्थन किया और 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र में इसे प्रमुखता से उठाया था। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भी एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता को पुनः दोहराया। असल में, एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा भाजपा के 2014 और 2019 के चुनावी घोषणापत्रों में शामिल था। पार्टी अब अन्य राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का एक व्यावहारिक तरीका विकसित करने की कोशिश करेगी। इससे चुनावों पर होने वाले खर्च में कमी आएगी और राज्य सरकारों के लिए कुछ हद तक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।

 

पहले भी होते थे एक साथ चुनाव

आजादी के बाद, जब पहली बार सरकार बनी, तो देश और राज्यों में एक साथ चुनाव हुए थे। इसके बाद कई वर्षों तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते रहे। 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ राज्य विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह क्रम टूट गया और उसके बाद से देश में अलग-अलग समय पर लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव होने लगे।

 

कैसे लागू होगा प्रस्तावित कानून?

सरकार की योजना के तहत, पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इसके बाद, दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव कराए जाएंगे। इसे 100 दिनों के भीतर लागू करने की योजना बनाई गई है।

 

देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में होगा बड़ा बदलाव

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है। इसके तहत संविधान के अनुच्छेद 100 और 29 में बदलाव प्रस्तावित हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कदम से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और प्रशासनिक कुशलता बढ़ेगी। ‘एक देश, एक चुनाव’ की इस पहल को मोदी सरकार का दूरदर्शी कदम माना जा रहा है, जिससे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

 

व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी है कि एक साथ चुनाव हों

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक राष्ट्र-एक चुनाव पर कहा, “हमारी भी इच्छा यही रही है, मेरे नेता, मेरे पिता रामविलास पासवान की सोच रही है कि एक साथ चुनाव होना जरूरी है। जब हर दूसरे-तीसरे महीने देश के किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं तो इससे देश पर आर्थिक बोझ तो पड़ता ही है, साथ ही जिस तरह से एक जगह से दूसरी जगह मशीनरी की तैनाती के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है, उसमें काफी समय बर्बाद होता है। जब आचार संहिता लगती है तो विकास कार्यों की गति रुक ​​जाती है। व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूरी है कि एक साथ चुनाव हों। विपक्ष को प्रधानमंत्री मोदी के हर फैसले पर आपत्ति होती है। मैं चाहता हूं कि विपक्ष बताए कि उन्हें किन बिंदुओं पर आपत्ति है।”

 

क्या बोले बीजेपी नेता दिलीप घोष?

वन नेशन वन इलेक्शन पर बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी कुछ भी करेंगे  ममता बनर्जी उसका विरोध करेंगी। उनकी राजनीति यहीं तक सीमित है। दुर्भाग्य से, बंगाल की जनता उन्हें सही मानती है लेकिन बंगाल और देश कहां जा रहा है ये लोगों को सोचना चाहिए।”

 

कांग्रेस ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ को इनकार करती है तो यह दोगलापन है

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “एक राष्ट्र-एक चुनाव राष्ट्रहित में है, इससे खर्च बचेगा और विकास होगा। मैं विपक्ष से, खासकर कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि 1967 तक देश में एक राष्ट्र एक चुनाव होता रहा, उस समय संघीय ढांचे को चोट नहीं पहुंच रही थी? इससे देश मजबूत होगा, विकास होगा। एक राष्ट्र एक चुनाव राष्ट्रहित में है, अगर कांग्रेस इससे इनकार करती है तो मुझे लगता है कि यह दोगलापन है।” साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को लेकर कहा कि “क्या संदेश देना चाहते हैं, विदेश में जाते हैं तो देश के खिलाफ। देश में आते हैं तो समाज को तोड़ने का काम करते हैं।”

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