उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सिविल रिवीजन याचिका खारिज करते हुए साफ कर दिया कि मस्जिद के सर्वे पर रोक नहीं लगाई जाएगी। मस्जिद कमेटी ने सर्वे के आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर पहले फैसला सुरक्षित रखा गया था। यह फैसला मस्जिद कमिटी की तरफ से दाखिल की गई सिविल रिवीजन याचिका पर आया है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मस्जिद कमेटी के वकील, मंदिर की तरफ से हरिशंकर जैन और ASI के वकील की बातें सुनने के बाद यह फैसला लिया था।
सर्वेक्षण को बनाया जाए रिकॉर्ड का हिस्सा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने मस्जिद परिसर में हुआ सर्वे वैध माना है और निर्देश दिया है कि सर्वे रिपोर्ट को रिकॉर्ड का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि मुस्लिम पक्ष इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाना चाहता है, तो वे उसका स्वागत करने को तैयार हैं।
13 मई को सुरक्षित रखा था हाई कोर्ट ने फैसला
मस्जिद कमेटी ने मामले की पोषणीयता को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में सिविल रिवीजन याचिका दायर की थी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 13 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। आज सुनाए गए फैसले में हाई कोर्ट ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
ASI सर्वे के आदेश को दी गई थी चुनौती
यह मामला उस समय तूल पकड़ गया जब संभल की अदालत ने शाही जामा मस्जिद परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया। इस आदेश को मस्जिद कमेटी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। हिन्दू पक्ष का कहना है कि इस स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। इसी आधार पर हिन्दू पक्ष ने मंदिर में प्रवेश की मांग की है।
क्या है विवाद की पृष्ठभूमि?
यह विवाद 19 नवंबर 2024 को उस समय शुरू हुआ जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने संभल की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अदालत में याचिका दाखिल कर यह दावा किया कि वर्ष 1526 में एक प्राचीन हरिहर मंदिर को तोड़कर शाही जामा मस्जिद का निर्माण किया गया था। याचिका में कहा गया कि यह मंदिर भगवान विष्णु के अंतिम अवतार ‘कल्कि’ को समर्पित था। इस पर अदालत ने मस्जिद परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया।
इस आदेश के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन समिति सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को कमेटी को हाईकोर्ट जाने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार से मिली स्टेटस रिपोर्ट पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि विवादित कुआं मस्जिद परिसर के बाहर स्थित है।