प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में बुलेट ट्रेन परियोजना की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में जानकारी दी कि मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्य दिसंबर 2029 तक पूरा हो जाएगा। इस परियोजना के तहत 508 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर तैयार किया जाएगा, जिसमें मुंबई, थाणे, विरार, बोईसर, बापी, बिल्लीमोरा, सूरत, भरूच, वड़ोदरा, आनंद, अहमदाबाद और साबरमती जैसे कुल 12 स्टेशन बनेंगे। इस परियोजना की लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें 81 फीसदी जापान की वित्तीय और तकनीकी मदद से किया जा रहा है।
जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) का योगदान
इस महत्वाकांक्षी परियोजना में जापान का महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि 81 फीसदी फंडिंग जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) द्वारा की जा रही है, जो 88,000 करोड़ रुपये के बराबर है। बाकी 19 फीसदी लागत भारत सरकार के रेल मंत्रालय और गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा मिलकर वहन की जाएगी। रेल मंत्रालय के अनुसार, 78,839 करोड़ रुपये की राशि इस परियोजना में 30 जून 2023 तक खर्च की जा चुकी है।
बुलेट ट्रेन परियोजना की प्रगति: योजना और क्रियान्वयन
इस परियोजना की शुरुआत सितंबर 2017 में हुई थी, और इसके बाद से लगातार कार्य जारी है। हालांकि, परियोजना में देरी का मुख्य कारण महाराष्ट्र में जमीन अधिग्रहण और जंगल मंजूरी में रुकावटें रही हैं। वहीं, गुजरात सेक्शन में भी कुछ काम पीछे चल रहा है, जिससे कुल लागत में वृद्धि हुई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि गुजरात के वापी से साबरमती तक का खण्ड दिसंबर 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है, जबकि पूरे मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का कार्य दिसंबर 2029 तक पूरा होगा।
बुलेट ट्रेन की विशेषताएं और संभावित लाभ
बुलेट ट्रेन परियोजना का उद्देश्य मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा के समय को 2-3 घंटे तक सीमित करना है, जबकि वर्तमान में यह दूरी 7-8 घंटे में तय होती है। इससे व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे और देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। इस परियोजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू गुजरात और महाराष्ट्र के मध्य क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना है।
रक्षा और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
बुलेट ट्रेन के सुरक्षा उपायों के तहत किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का निर्माण किया जाएगा, जो देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा। यह परियोजना देश की रेलवे सुरक्षा प्रणाली को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।
भारत में बुलेट ट्रेन: सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ
यह परियोजना न केवल आर्थिक विकास बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह गाड़ियों के द्वारा यात्रा के लिए प्रदूषण में कमी लाएगी और जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक असर डालेगी। यह निर्यात और आवागमन के लिए एक नया आदर्श स्थापित करेगा, जो दुनिया के अन्य देशों में लागू किया जा सकता है।
बुलेट ट्रेन का भविष्य: भारत में नए परिवहन युग का आरंभ
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। इससे भारत में संचार और परिवहन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। रेल मंत्रालय और राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन की संयुक्त टीम दिन-रात काम कर रही है ताकि 2029 तक बुलेट ट्रेन के संचालन की शुरुआत की जा सके।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत-जापान का संयुक्त प्रयास
बुलेट ट्रेन परियोजना में भारत और जापान के बीच की साझेदारी को दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग कैसे नई तकनीकी प्रगति और विकास के अवसर उत्पन्न कर सकता है। जापान की सुपरसोनिक रेल तकनीक और भारत का समर्पण इस परियोजना को सफलता की ओर ले जाने का आधार बने हैं।
दुनिया को नया रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
बुलेट ट्रेन परियोजना भारत में परिवहन की दुनिया को नया रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जापान की वित्तीय और तकनीकी सहायता से भारतीय रेलवे सिस्टम में नई क्रांति आएगी। सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ इस परियोजना को और भी प्रभावी बनाते हैं। यदि यह परियोजना समय पर पूरी होती है, तो यह भारत को वैश्विक परिवहन मानचित्र पर एक नया मुकाम दिलाने में सक्षम होगी।