देश के उपराष्ट्रपति जगदीप सिंह धनखड़ की मिमिक्री करने वाले टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी अब एक बार फिर उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करते हुए देखे गए हैं। बता दें कि संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा करने वाले विपक्षी नेताओं को दोनों सदनों से निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद संसद के बाहर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने अन्य साथी नेताओं के सामने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की थी। इसके बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसकी निंदा भी की थी, लेकिन उसके बाद भी कल्याण बनर्जी द्वारा दोबारा से उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ की मिमिक्री की गई है और इसे अपना मौलिक अधिकार बताया है।
एक हजार बार करूंगा मिमिक्री – कल्याण बनर्जी
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी को उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने का कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने उपराष्ट्रपति के मना करने के बाद भी एक बार फिर उनकी मिमिक्री की। कल्याण बनर्जी ने मिमिक्री के बाद कहा, “मुझे जेल में भी डाल दिया जाए, तब भी मैं मिमिक्री करता रहूंगा। मुझे मिमिक्री करने से कोई नहीं रोक सकता।” इसके साथ ही उन्होंने एक हजार बार उपराष्ट्रपति की मिमिक्री का बयान देते हुए कहा, “एक बार मैंने इसे किया है, यदि जरूरी हुआ तो मैं इसे एक हजार बार करूंगा।”
मिमिक्री को बताया मौलिक अधिकार
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने संसद के बाद अब बंगाल में उपराष्ट्रपति जेपी धनखड़ की मिमिक्री की। कल्याण बनर्जी ने हुगली जिले में एक जनसभा में सरेआम उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाया। जनसभा में उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने के बाद उन्होंने एक बयान भी दिया, जिसमें उन्होंने मिमिक्री को अपना मौलिक अधिकार बताया। उन्होंने कहा, “मिमिक्री कोई नई बात नहीं है, यह एक कला है। अगर किसी के पास शिक्षा नहीं है और उसे हास्य समझ में नहीं आता, तो मैं क्या कर सकता हूं।”
संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का मजाक उड़ा रहा विपक्ष
टीएमसी सांसद द्वारा उपराष्ट्रपति की मिमिक्री कर एक बार नहीं, बल्कि दो बार मजाक उड़ाया गया है। बड़ी बात यह है कि टीएमसी सांसद मिमिक्री कर उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाने को अपनी गलती नहीं मान रहे हैं, बल्कि उसे अपना मौलिक अधिकार बता रहे हैं। इसके साथ ही कल्याण बनर्जी ने माफी मांगने से भी साफ इनकार कर दिया है। सवाल यही उठता है कि आखिर संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का मजाक उड़ाना कौन सा मौलिक अधिकार है?