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पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत की नौसेना को बड़ी ताकत: 28 मई को रूस से मिलेगा स्टील्थ युद्धपोत ‘INS तमाल’

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पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच, दुनिया के सबसे उन्नत स्टील्थ युद्धपोतों में से एक, INS तमाल के शामिल होने से भारत की समुद्री क्षमताओं को एक महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 28 मई, 2025 को रूस द्वारा नया तलवार श्रेणी का फ्रिगेट भारत को सौंप दिया जाएगा।

 

जून 2025 में भारतीय नौसेना में होगा शामिल

युद्धपोत का निर्माण रूस के यंतर शिपयार्ड में किया गया है और यह 2016 के एक समझौते का हिस्सा है जिसके तहत चार फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं, दो रूस में और दो भारत में। परियोजना के अनुसार, प्रत्येक देश में दो फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। INS तमाल को औपचारिक रूप से जून 2025 में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना है, जो एक बड़ी उपलब्धि होगी और समुद्री क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को और मजबूत करेगी।

 

तमाल के परीक्षण के लिए भारतीय दल रूस रवाना

भारतीय नौसेना के अधिकारी पहले ही रूस में INS तमाल के समुद्री परीक्षणों की निगरानी कर चुके हैं। अब, युद्धपोत को भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किए जाने से पहले, एक विशेष दल युद्धपोत को वापस भारत लाने के लिए रूस भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में लगभग 200 नौसेना कर्मी शामिल हैं, जिन्होंने पोत के परीक्षणों में भाग लिया और प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन परीक्षणों की अवधि कई सप्ताह तक चलने की संभावना है, जिससे पोत की पूरी तैयारियों का मूल्यांकन किया जाएगा।

 

मल्टी-रोल गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट

INS तमाल एक गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है, जिसे बहु-आयामी युद्ध अभियानों के लिए तैयार किया गया है। यह जल, वायु और सतह तीनों दिशाओं से एकसाथ हमला करने में सक्षम है। इसका मुख्य उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और शक्ति को और अधिक मजबूती प्रदान करना है।

 

आधुनिक हथियारों से सुसज्जित

INS तमाल को अत्याधुनिक ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल से लैस किया गया है, जो इसका प्रमुख स्ट्राइक सिस्टम होगा। इसके साथ ही युद्धपोत में टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट्स भी मौजूद हैं, जो इसे दुश्मन की पनडुब्बियों और समुद्री खतरों का प्रभावी जवाब देने में सक्षम बनाते हैं।

INS तमाल: 30 नॉट्स की गति, 3,000 किमी रेंज, अत्याधुनिक युद्धक्षमता

INS तमाल लगभग 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे (करीब 55 किमी/घंटा) की तेज गति से संचालन करने में सक्षम है, जिससे यह तेजी से दुश्मन पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है। 3,900 टन वजनी यह युद्धपोत एक बार में 3,000 किलोमीटर तक की दूरी तय करने की क्षमता रखता है, जो इसे लंबे समुद्री अभियानों के लिए बेहद प्रभावशाली बनाता है।

 

NS तमाल में मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर तैनाती

INS तमाल में मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर तैनात किया जा सकता है, जो समुद्री क्षेत्रों में निगरानी और युद्ध अभियानों में अहम भूमिका निभाएगा। यह क्षमता युद्धपोत को और भी खतरनाक बनाती है, क्योंकि हेलीकॉप्टर तटीय इलाकों में सटीक जानकारी और हमले प्रदान करने में सक्षम होंगे।

 

देश पूरी तरह से स्वदेशी निर्माण क्षमता की ओर अग्रसर

INS तमाल को भारत का अंतिम आयातित युद्धपोत माना जा रहा है, क्योंकि अब देश पूरी तरह से स्वदेशी निर्माण क्षमता की ओर अग्रसर है। भारत सरकार युद्धपोतों के डिज़ाइन और निर्माण को घरेलू स्तर पर विकसित करने पर ज़ोर दे रही है। INS तमाल, तलवार क्लास फ्रिगेट श्रृंखला का दूसरा ऐसा पोत है जो भारतीय नौसेना में शामिल होगा, जिसमें INS तुशील समेत पहले से छह युद्धपोत सेवामें हैं। यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत भारत की समुद्री ताकत को और भी मजबूती देगा।

 

भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व

INS तमाल भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह युद्धपोत भारतीय समुद्री सुरक्षा को सशक्त करेगा और भारत को अपने पड़ोसियों के खिलाफ समुद्र में एक मजबूत स्थिति देगा। पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच यह युद्धपोत भारतीय सेना के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में कार्य करेगा।भारत और पाकिस्तान के बीच जल-सीमा विवाद और आतंकवादी हमलों के बाद भारत के सैन्य बलों को अपनी शक्ति में वृद्धि की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इस बीच, भारत की नौसेना को INS तमाल के रूप में एक अत्याधुनिक युद्धपोत मिलने से भारतीय सेना के पास एक नया और प्रभावी हथियार होगा।

 

भारत की स्वदेशी निर्माण दिशा

INS तमाल, तलवार क्लास का दूसरा युद्धपोत है और भारत की नौसेना के लिए इसका ऐतिहासिक महत्त्व है। 2003 से भारतीय नौसेना में तलवार क्लास के छह युद्धपोत सेवा में हैं। INS तमाल के साथ भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी, लेकिन इसके बाद भारत अपनी स्वदेशी निर्माण क्षमता को प्राथमिकता देने की योजना बना रहा है। भारतीय नौसेना ने स्पष्ट किया है कि INS तमाल के बाद किसी अन्य विदेशी युद्धपोत को खरीदने का कोई इरादा नहीं है। भारत अब स्वदेशी युद्धपोतों के निर्माण पर जोर दे रहा है और इसके लिए कई परियोजनाएं भी चल रही हैं।

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