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अलीएक्सप्रेस की शर्मनाक हरकत, भगवान जगन्नाथ का डोरमैट बेचने पर मचा हंगामा

भगवान जगन्नाथ

News Content

चीन की प्रमुख ईकॉमर्स वेबसाइट अलीएक्सप्रेस पर एक बहुत ही विवादास्पद और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला उत्पाद बिक्री के लिए पेश किया गया है। इस उत्पाद का नाम ‘भगवान जगन्नाथ मंडला आर्ट डोरमैट’ है, जिस पर भगवान जगन्नाथ की छवि छपी हुई है और इसे एक पायदान के रूप में बेचा जा रहा है। इस मामले ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी और भारत के हिन्दू समाज, विशेष रूप से ओडिशा के लोगों, ने अपनी भावनाओं का इज़हार किया।

धार्मिक असंवेदनशीलता की हद

इस पायदान के विज्ञापन में किसी व्यक्ति को भगवान जगन्नाथ की छवि वाले पायदान पर पैर रखते हुए दिखाया गया है। यह पायदान न केवल हिन्दू धर्म की पवित्रता का उल्लंघन कर रहा है, बल्कि यह ओडिशा के धार्मिक प्रतीक और सांस्कृतिक पहचान का भी अपमान कर रहा है। इस पायदान को ‘नमी सोखने वाला’ और ‘फिसलन से बचाने वाला’ बताया गया है, जो इसे और भी ज्यादा विवादित बना रहा है। इसके चलते भक्तों का गुस्सा फूटा है, और सोशल मीडिया पर इसका विरोध और तीव्र हो गया है।

ओडिशा मंदिर समिति की कड़ी आपत्ति

भगवान जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के पूर्व सदस्य मधव पुजापंडा ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने मंदिर प्रशासन से अपील की कि इस विषय को राज्य और केंद्र सरकार के पास तुरंत भेजा जाए और चीनी अधिकारियों से बात की जाए ताकि इस तरह के उत्पाद की बिक्री पर रोक लगाई जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली घटना नहीं है, बल्कि अब धार्मिक प्रतीकों और शब्दों का गलत फायदा उठाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

सोशल मीडिया पर बवाल

इस उत्पाद को लेकर सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। #RespectJagannath और #BoycottAliExpress जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने अलीएक्सप्रेस से माफी की मांग की और इस प्रोडक्ट को तुरंत हटाने की अपील की। भक्तों का कहना है कि भगवान जगन्नाथ केवल एक देवता नहीं, बल्कि ओडिशा की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं, और उनका इस तरह से अपमान करना अक्षम्य है।

धार्मिक प्रतीकों की बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) की मांग

सोशल मीडिया पर बढ़ती मांग के तहत अब लोग यह चाहते हैं कि भगवान जगन्नाथ से जुड़े प्रतीकों, शब्दों और छवियों को बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के तहत सुरक्षा दी जाए। उनका मानना है कि अगर समय रहते इन प्रतीकों पर पेटेंट और ट्रेडमार्क मिल जाते हैं, तो भविष्य में इस तरह के अपमानजनक उत्पाद बाजार में नहीं आ सकते। यह कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी उपाय हो सकता है।

अलीएक्सप्रेस की जिम्मेदारी

अलीएक्सप्रेस, जो कि चीन की प्रमुख ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म है, ने इस प्रोडक्ट को अपनी साइट पर लिस्ट किया था, लेकिन अब इस विवाद के बढ़ने के बाद इसने एक बयान जारी किया है। कंपनी ने कहा कि वे इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हैं और इस प्रोडक्ट को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया है। हालांकि, इस मामले ने उन कंपनियों और प्लेटफार्मों की भूमिका पर सवाल उठाया है जो धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को नजरअंदाज करते हुए ऐसे उत्पादों को अपनी साइट पर प्रदर्शित करते हैं।

ओडिशा के राजनीतिक दलों का विरोध

इस घटना के बाद ओडिशा के कई राजनीतिक दलों ने भी इस प्रोडक्ट की बिक्री को लेकर विरोध जताया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस घटना को ‘असंवेदनशील’ और ‘अक्षम्य’ करार दिया और इसे ओडिशा के लोगों की धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाने की बात की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

भगवान जगन्नाथ के अपमान का मामला गंभीर

भगवान जगन्नाथ के अपमान का मामला एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। अलीएक्सप्रेस जैसे बड़े मंचों पर इस तरह के उत्पादों की बिक्री से धार्मिक और सांस्कृतिक असंवेदनशीलता की ओर इशारा करता है। सोशल मीडिया पर जो विरोध हो रहा है, वह इस बात का संकेत है कि अब समाज को अपने धार्मिक प्रतीकों और प्रतीकात्मक वस्त्रों की रक्षा करने के लिए जागरूक होने की जरूरत है। इसके लिए कानूनी और राजनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह के अपमानजनक उत्पादों की बिक्री रोकी जा सके।

 

 

 

 

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