कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सैनिकों के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट से फटकार का सामना करना पड़ा है। कोर्ट ने 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणियों से संबंधित लखनऊ की एक अदालत द्वारा जारी समन के खिलाफ गांधी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है।”
आखिर राहुल गांधी ने क्या दिया था बयान
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आरोप लगाया था कि चीन ने भारत के 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, 20 भारतीय सैनिकों को मार दिया है, और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की पिटाई की है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रेस इस मामले में सवाल नहीं पूछती, जिससे देश की सच्चाई छिपाई जा रही है।
मानहानि मुकदमा और कोर्ट की प्रतिक्रिया
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। लखनऊ की ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी को समन जारी किया था, जिसे उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता गैर-सेना अधिकारी होते हुए भी इस मामले में ‘पीड़ित व्यक्ति’ माने जाएंगे क्योंकि वे सीमा सड़क संगठन के सेवानिवृत्त निदेशक हैं, जिनकी रैंक कर्नल के बराबर है।
भारतीय सेना के लिए अपमानजनक बयान देना स्वतंत्रता में शामिल नहीं
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें भारतीय सेना के लिए अपमानजनक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है।” राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें यह आरोप था कि 2022 में राहुल गांधी द्वारा की गई ‘चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की पिटाई कर रहे हैं’ जैसी कथित सेना की छवि को नुकसान पहुंचाती है।