नक्सल हिंसा से वर्षों तक जूझने के बाद आखिरकार बस्तर जिले को ‘नक्सल मुक्त’ घोषित कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने खुद इसकी घोषणा की है। करीब चार दशक बाद बस्तर को आधिकारिक तौर पर वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों की सूची से हटा दिया गया है। हाल ही में सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में कई शीर्ष नक्सल कमांडरों के मारे जाने के बाद यह घोषणा की गई है।
बस्तर को नक्सल प्रभावित LWE सूची से हटाया गया
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को अब नक्सल प्रभावित जिलों की LWE सूची से हटा दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से एलडब्ल्यूई सूची से नाम हटाए जाने के फैसले से क्षेत्र में निवेश और विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है। इससे न सिर्फ बस्तर की छवि बदलेगी, बल्कि रोजगार और पर्यटन के अवसरों में भी भारी वृद्धि होगी। छत्तीसगढ़ समेत बस्तरवासियों के लिए यह फैसला न केवल गर्व का विषय है, बल्कि आने वाले समय में स्थायी शांति और प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
1980 के दशक से बस्तर नक्सलवाद का गढ़ रहा
1980 के दशक से बस्तर नक्सलवाद का गढ़ रहा है, जिससे जिले का विकास बाधित हुआ। लेकिन सुरक्षा बलों की लगातार सक्रियता और केंद्र सरकार के सहयोग से विशेष नक्सल विरोधी अभियान चलाकर बस्तर को पूरी तरह से नक्सल मुक्त बनाया गया। कई मुठभेड़ों में सैकड़ों नक्सली खत्म किए गए, जबकि कई ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होना चुना। इस तरह बस्तर ने नक्सलवाद से पूरी आज़ादी पाई है। बीते वर्षों में सुरक्षा बलों, राज्य सरकार और स्थानीय जनता के संयुक्त प्रयासों से बस्तर में शांति की बहाली हुई है। लगातार चल रहे विकास कार्य, सड़क निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और प्रशासन की सक्रियता ने बस्तर को नक्सलवाद से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई है।
इन जिलों से लगती है छत्तीसगढ़ की सीमा
छत्तीसगढ़ जिले की सीमा उत्तर दिशा में उत्तर प्रदेश, उत्तर पश्चिम दिशा में मध्य प्रदेश, दक्षिण पश्चिम दिशा में महाराष्ट्र, उत्तर पूर्वी दिशा में झारखंड, पूर्वी दिशा में ओडिशा और दक्षिण दिशा में तेलंगाना से लगती है। इनमें से कई बॉर्डर पर नक्सलवाद एक्टवि है, जिनका खात्मा करने के लिए सुरक्षाबलों के जवान लगातार दबिश दे रहे हैं और मुठभेड़ में नक्सलियों का सामना कर रहे हैं।
नक्सली संगठन के महासचिव बसवराजू समेत कई इनामी नक्सली मारे गए
करीब चार दशक तक सुरक्षाबलों ने बस्तर संभाग में नक्सलियों के खिलाफ लगातार संघर्ष किया। कई मुठभेड़ों में नक्सली संगठन के महासचिव बसवराजू समेत कई इनामी नक्सली मारे गए, जिससे नक्सली संगठन बस्तर में पूरी तरह कमजोर हो गया। लगातार ऑपरेशन और सर्चिंग से नक्सलियों की कमर टूटी है। कई प्रमुख कमांडरों के elimination के बाद केंद्र सरकार ने अब बस्तर को नक्सल मुक्त घोषित किया है।
इस तरह घटा नक्सलियों का आंकड़ा
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2018 में देश में 126 नक्सल प्रभावित जिले थे, जो जुलाई 2021 तक घटकर 70 और अप्रैल 2024 तक 38 रह गए। सबसे गंभीर रूप से प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई है। बस्तर संभाग में सात जिले आते हैं: बस्तर (जगदलपुर), कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोंडागांव।



