झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में हुआ। शिबू सोरेन के निधन के साथ ही राज्य और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका योगदान केवल झारखंड राज्य के गठन में ही नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा में भी महत्वपूर्ण था। शिबू सोरेन का नाम हमेशा उनके संघर्ष और धैर्य के कारण याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा श्रद्धांजलि
शिबू सोरेन के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गंगा राम अस्पताल पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनका जीवन जनजातीय समाज के कल्याण के लिए समर्पित था। उन्होंने कहा, “शिबू सोरेन जी का योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने आदिवासी समुदाय की आवाज को बुलंद किया और उनकी समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर रखा।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उनके योगदान को याद करते हुए शोक व्यक्त किया और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट की। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “शिबू सोरेन जी का निधन आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भावुक प्रतिक्रिया
अपने पिता के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट करते हुए लिखा, “आज मैं शून्य हो गया हूं, गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए।” उनकी यह भावुक प्रतिक्रिया उनके पिता के प्रति गहरी श्रद्धा और स्नेह को दर्शाती है। हेमंत सोरेन का कहना था कि शिबू सोरेन का निधन राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है, और उनका मार्गदर्शन हमेशा राज्य की राजनीति और आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।
उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर कहा, “शिबू सोरेन जी का योगदान हमारे देश और झारखंड के लोगों के लिए अविस्मरणीय रहेगा। उनका जीवन जनजातीय समाज की भलाई के लिए समर्पित था। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनका आदर्श हमें हमेशा प्रेरित करेगा।”
जनजातीय समाज के अधिकारों और उनके सशक्तीकरण के लिए उन्होंने दशकों तक किया संघर्ष: अमित शाह
शिबू सोरेन के निधन पर गृहमंत्री अमित शाह ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिबू सोरेन जी के निधन की सूचना अत्यंत दु:खद है। झारखंड में जनजातीय समाज के अधिकारों और उनके सशक्तीकरण के लिए उन्होंने दशकों तक संघर्ष किया। अपने सहज व्यक्तित्व और सरल स्वभाव से वे जन-जन से जुड़े। ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल सोरेन परिवार और उनके प्रशंसकों व समर्थकों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।
शिबू सोरेन ने जनजातीय समाज को समर्पित किया जीवन: योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिबू सोरेन के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन अत्यंत दु:खद है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! जनजातीय समाज के उन्नयन में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ऊं शांति।
सब वीरान सा हो गया है : कल्पना सोरेन
झारखंड सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कहा कि सब वीरान सा हो गया है। अंतिम जोहार आदरणीय बाबा आपका संघर्ष, आपका स्नेह, आपका दृढ़ विश्वास – आपकी यह बेटी कभी नहीं भूलेगी।
शिबू सोरेन का जीवन और संघर्ष
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना 1972 में की थी और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए उन्होंने अलग झारखंड राज्य की मांग को प्रोत्साहित किया। उनका यह आंदोलन भारत के आदिवासी समाज के लिए मील का पत्थर साबित हुआ और 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ।
झारखंड के स्थापना के बाद भी, शिबू सोरेन ने तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय राजनीति में आदिवासी समाज के लिए आवाज उठाने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थे। उनका राजनीति में प्रवेश आदिवासी समाज के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने न केवल आदिवासी अधिकारों की रक्षा की, बल्कि समाज में उनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए कई संघर्ष किए।
अंतिम संस्कार और शोक की अवधि
शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़) में आदिवासी रीति-रिवाज और राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को रांची के मोरहाबादी स्थित आवास, झामुमो कार्यालय और झारखंड विधानसभा में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। अंतिम संस्कार 5 अगस्त 2025 को दोपहर तीन बजे किया जाएगा। राज्य सरकार ने उनके निधन पर तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है, जिसमें राज्य के सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे और झंडे आधे झुके रहेंगे। झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
शिबू सोरेन का योगदान और उनकी विरासत
शिबू सोरेन का जीवन केवल एक राजनीतिक नेता के रूप में नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय के संघर्ष और उनके अधिकारों के लिए एक प्रेरणा था। उनका योगदान झारखंड राज्य के गठन से लेकर आदिवासी समाज के हक के लिए संघर्ष तक फैला हुआ है। उनके कार्यों ने राज्य और देश के अन्य हिस्सों में आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। शिबू सोरेन ने हमेशा आदिवासी समाज के लिए अपनी आवाज बुलंद की और उनके अधिकारों के लिए संसद में कई बार आवाज उठाई। उन्होंने अपनी राजनीति का सबसे बड़ा उद्देश्य आदिवासी समाज की भलाई और उनके अधिकारों की रक्षा को माना। उनकी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने कभी अपने उद्देश्य से समझौता नहीं किया। उनकी यह विरासत हमेशा झारखंड के आदिवासी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। शिबू सोरेन की कमी झारखंड राज्य और भारत के राजनीतिक इतिहास में हमेशा खलेगी।
शिबू सोरेन की स्थायी धरोहर
झारखंड राज्य के गठन में शिबू सोरेन का योगदान अनमोल है। वे न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत भी थे। उनकी संघर्ष की कहानी हमेशा झारखंड की जनता और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम करेगी। उनके जाने से झारखंड ने अपना एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसकी कमी को कभी भी पूरा नहीं किया जा सकेगा। उनकी यादें, उनके विचार और उनके आदर्श हमेशा झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक जीवन का हिस्सा बने रहेंगे।



