असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश की सीमा से लगे बराक घाटी के करीमगंज जिले का नाम बदलकर ‘श्रीभूमि’ करने को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह निर्णय 19 नवंबर को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। उन्होंने कहा कि “कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने 100 साल से भी पहले करीमगंज जिले को ‘श्रीभूमि’ (मां लक्ष्मी की भूमि) के रूप में संबोधित किया था। सरमा ने यह भी बताया कि आज असम मंत्रिमंडल ने क्षेत्रवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया है।”
क्या बोले सीएम हिमंत बिस्वा?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम के सबसे दक्षिणी जिले करीमगंज के पुराने गौरव को बहाल करते हुए अब करीमगंज जिला श्रीभूमि है। अविभाजित भारत के वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र को श्रीभूमि नाम देने वाले कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए असम कैबिनेट ने करीमगंज का नाम बदलकर श्रीभूमि जिला करने का फैसला किया है। यह निर्णय जिले के लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा।
अधिक स्थानों के बदल सकते है नाम
असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि करीमगंज का नाम बदलने से सांस्कृतिक संदर्भ सुरक्षित रहेगा, क्योंकि नए नाम का असमिया और बंगाली दोनों शब्दकोशों में अर्थ है। उन्होंने कहा कि असम के इतिहास और भाषाई जड़ों को प्रतिबिंबित करने के लिए और अधिक स्थानों का नाम बदला जा सकता है।
असम आएंगे पीएम मोदी
राज्य में विकास की गति को बनाए रखने और असम में निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए मंत्रिमंडल ने 24 और 25 फरवरी 2025 को असम निवेश और बुनियादी ढांचा शिखर सम्मेलन के आयोजन को मंजूरी दे दी है। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे।
कैबिनेट में और किन फैसलों को मिली मंजूरी
मंत्रिमंडल ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत तैयार असम विधानसभा की मतदाता सूची के आधार पर पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने की सुविधा प्रदान करने हेतु असम पंचायत (संविधान) नियम, 1995 के नियम 12 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, राजस्व बढ़ाने, करदाताओं की सुविधा में सुधार और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए मंत्रिमंडल ने असम माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश, 2024 को मंजूरी दी है। यह अध्यादेश असम माल और सेवा कर, 2017 के कुछ प्रावधानों में संशोधन करेगा ताकि अधिनियम में आवश्यक बदलाव और सुधार किए जा सकें।