ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ अपराध, विशेषकर बलात्कार के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट और समयबद्ध जांच और आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मांग की गई है। जिस पर केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता बनर्जी को लिखे पत्र का जवाब देकर पलटवार किया है। उनका कहा है कि “पत्र में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है।”
क्या बोली केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी?
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के पीएम को लिखे दूसरे पत्र का जवाब दिया उन्होंने कहा कि “इस संबंध में आपके पत्र में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है और यह राज्य द्वारा FTFC के संचालन में देरी को कवर करने की दिशा में एक कदम प्रतीत होता है।” उन्होंने आगे कहा “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में बलात्कार के मामलों में एफआईआर की तारीख से दो महीने के भीतर जांच पूरी करने का प्रावधान है जिसमें फोरेंसिक जांच भी शामिल है और आरोप पत्र दाखिल होने के दो महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का प्रावधान है। आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले से ध्यान भटकाने की ममता बनर्जी की एक और व्यर्थ कोशिश धूल चट गई।”
ममता बनर्जी ने चिठ्ठी में क्या लिखा था?
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मुख्य तौर पर तीन मांग की थी। पहली मांग में सीएम ममता ने रेप जैसी घिनौनी घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र स्तर पर सख्त कानून लाने को कहा था जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान हो। दूसरा, महिलाओं के खिलाफ अपराध, विशेषकर बलात्कार के मामलों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट गठित की जानी चाहिए। तीसरा, सीएम ममता बनर्जी ने रेप पीड़िता और उनके परिजनों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए ऐसे मामलों की सुनवाई 15 दिनों में पूरी करने की मांग की थी।
दूसरी चिट्ठी में सीएम ममता ने क्या लिखा?
सीएम ममता ने दूसरी चिट्ठी में लिखा कि “ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर आपकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, एक जवाब हमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से मिला। मैंने जिस गंभीरता से पत्र लिखा था, इस जवाब में वह गंभीरता नहीं दिखाई दी। मुझ लगात है कि विषय की गंभीरता समझे बिना और समाज में इसकी उपयोगिता को जाने बिना, जवाब सामान्य तरीके से दिया गया।”