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नासा-इसरो मिशन NISAR आज होगा लॉन्च, पृथ्वी की होगी निगरानी

NISAR

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भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों नासा और इसरो का संयुक्त ‘NISAR’ (नासा-इसरो सिंथेटिक एपरचर रडार) मिशन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर हो रहे सूक्ष्म से सूक्ष्म बदलावों की निगरानी करना है। ‘NISAR’ दुनिया का पहला सैटेलाइट है, जो सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक के दोहरे रडार सिस्टम का उपयोग करता है। इस मिशन की कुल लागत 1.5 अरब डॉलर है और यह न केवल अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान है, बल्कि यह भारत और दुनिया के लिए आपदा प्रबंधन, कृषि, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण निगरानी में भी गेम-चेंजर साबित होगा।

भारत और अमेरिका का ऐतिहासिक सहयोग

यह मिशन भारत और अमेरिका के बीच 10 साल लंबी साझेदारी का नतीजा है, जिसमें दोनों देशों ने अपने-अपने तकनीकी कौशल का उपयोग किया है। नासा ने एल-बैंड रडार विकसित किया है, जबकि इसरो ने एस-बैंड रडार को तैयार किया। इन दोनों रडारों का संयोजन दुनिया में सबसे उन्नत माना जा रहा है। इस सैटेलाइट का लक्ष्य सिर्फ पृथ्वी की निगरानी नहीं, बल्कि भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, बर्फ के पिघलने, जलवायु परिवर्तन और कार्बन अवशोषण जैसी प्राकृतिक आपदाओं की रीयल-टाइम निगरानी करना भी है।

NISAR का उद्देश्य और कार्य

‘NISAR’ सैटेलाइट की खासियत इसकी डुअल-फ्रीक्वेंसी रडार तकनीक है, जिसमें नासा का L-बैंड और इसरो का S-बैंड एक साथ काम करते हैं। यह सैटेलाइट पृथ्वी की सतह पर 1 सेंटीमीटर तक के छोटे बदलावों को पकड़ने में सक्षम है। ‘NISAR’ हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा और 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर 97 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। इस सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हर मौसम में, दिन-रात, बादल, घना जंगल, और अंधेरे में भी तस्वीरें खींच सकता है। इस सैटेलाइट से एक सेंटीमीटर तक की सूक्ष्म हलचल का पता लगाना संभव होगा, जो भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी में अहम साबित होगा। ‘NISAR’ का डेटा पूरी दुनिया के लिए ओपन-सोर्स होगा, जिससे वैज्ञानिक, किसान, और आपदा प्रबंधन टीमें इसका इस्तेमाल मुफ्त में कर सकेंगी।

भूकंप, बर्फबारी और जलवायु परिवर्तन की निगरानी

‘NISAR’ का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं की सटीक भविष्यवाणी करना है। इस सैटेलाइट की मदद से भूकंप, बर्फबारी, जलवायु परिवर्तन और कार्बन अवशोषण की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी। यह सैटेलाइट भूकंप के पहले और बाद में धरती की हलचल को मापने में मदद करेगा। इस प्रकार, यह आपदा प्रतिक्रिया टीमों को ज्यादा तेजी से और प्रभावी तरीके से काम करने में सक्षम बनाएगा। भारत में यह सैटेलाइट विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को मापने में मदद करेगा, खासकर हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने और असम जैसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में।

कृषि क्षेत्र और जल संसाधन प्रबंधन में उपयोगिता

‘NISAR’ की तकनीक कृषि क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। यह सैटेलाइट खेतों में मिट्टी की नमी को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे किसानों को बेहतर तरीके से सिंचाई का समय निर्धारित करने में मदद मिलेगी। इससे फसल की पैदावार बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी और जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार होगा।

NISAR का भारत के लिए रणनीतिक महत्व

‘NISAR’ मिशन भारत के लिए एक रणनीतिक निवेश है। इसरो ने इस मिशन में 788 करोड़ रुपये (96 मिलियन डॉलर) का योगदान दिया है, जो कुल लागत का एक छोटा हिस्सा है। हालांकि, भारत को इससे मिलने वाले लाभ अपार हैं।
आपदा प्रबंधन: भूकंप, बाढ़, और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय ‘NISAR’ सैटेलाइट डेटा प्रदान करेगा, जिससे आपदा प्रबंधन को बेहतर और तेजी से किया जा सकेगा।
कृषि क्षेत्र: यह सैटेलाइट किसानों को उनके खेतों की नमी मापने में मदद करेगा, जिससे उन्हें सिंचाई और कृषि गतिविधियों को सही समय पर करने में सहायता मिलेगी।
जलवायु परिवर्तन: यह सैटेलाइट हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियर्स की निगरानी करेगा, जो भारत जैसे देशों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जहां लाखों लोग नदियों पर निर्भर हैं।

NISAR: भारत का भविष्य में एक महत्वपूर्ण कदम

‘NISAR’ मिशन न केवल भारत के वैज्ञानिक क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भविष्य में जलवायु परिवर्तन, कृषि, आपदा प्रबंधन, और पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। यह नासा और इसरो के बीच सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक नया मुकाम स्थापित कर रहा है। इस मिशन से भारत को मिलने वाले लाभ दुनिया भर के वैज्ञानिकों, किसानों, और आपदा प्रबंधन टीमों के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे। ‘NISAR’ सैटेलाइट की लॉन्चिंग भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में दर्ज होगी और देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक अभूतपूर्व कदम

‘NISAR’ मिशन भविष्य के लिए भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक अभूतपूर्व कदम साबित होगा, जो न केवल प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करेगा बल्कि यह देश के कृषि, जलवायु और पर्यावरण क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह मिशन भारत के वैश्विक नेतृत्व को और मजबूत करेगा और दुनिया भर में भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा।

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