जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में सुरक्षा बलों ने एक बड़ा अभियान चलाया, जिसमें ऑपरेशन महादेव के तहत तीन आतंकवादियों को मार गिराया। यह कार्रवाई भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम द्वारा की गई। मारे गए आतंकियों की पहचान लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मूसा सुलेमानी, अबु हमजा, और यासिर के रूप में की गई है। यह सभी आतंकवादी 22 अप्रैल को पहलागाम में हुए आतंकवादी हमले में शामिल थे, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।
ऑपरेशन की शुरुआत और मुठभेड़
सुरक्षा बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर हरवान के मुलनार इलाके में ऑपरेशन की शुरुआत की। सुबह 11:30 बजे ऑपरेशन की शुरुआत हुई और कुछ समय बाद इलाके से गोलियां चलने की आवाजें आईं, जिसके बाद अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया। मुठभेड़ के दौरान तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया। यह कार्रवाई लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
ऑपरेशन से मिली महत्वपूर्ण जानकारी और सामग्री
इस ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने कई महत्वपूर्ण सामग्री भी बरामद की, जिसमें 17 अंडर बैरल ग्रेनेड, दो एके-47 राइफलें, एक एम4 कार्बाइन, गोला-बारूद, राशन, बर्तन, गर्म कपड़े और कंबल शामिल हैं। इन सामग्री के मिलने से सुरक्षा बलों को आतंकियों के खतरनाक मंसूबों का अंदाजा लगा है और यह उनकी रणनीतिक तैयारी की ओर इशारा करता है।
आतंकवादियों की पहचान और भारतीय सेना की सफलता
मारे गए आतंकवादियों में से मूसा सुलेमानी को ए श्रेणी का आतंकवादी माना जाता है, जिसे सुरक्षा बलों के लिए बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। चिनार कॉर्प्स ने एक्स पर पोस्ट करते हुए पुष्टि की कि ऑपरेशन महादेव के तहत लिदवास क्षेत्र में संपर्क स्थापित कर तीन आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया।
क्यों था ऑपरेशन महादेव का महत्व?
यह ऑपरेशन विशेष रूप से पहलागाम हमले के दोषियों को पकड़ने के लिए शुरू किया गया था। पिछले एक महीने से दाचीगाम क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिल रही थी। यह ऑपरेशन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती देने और कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से किया गया था।
विदेशी मीडिया का आरोप और पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय प्रतिक्रिया
यह ऑपरेशन भारतीय सैन्य रणनीति की एक मिसाल पेश करता है, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। हालांकि, कुछ विदेशी मीडिया संस्थाओं ने इसे लेकर पाकिस्तान की सफाई पेश की थी, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत कोई भी भारतीय ठिकाना या बुनियादी ढांचा नहीं ध्वस्त हुआ था, और पाकिस्तान को केवल नुकसान उठाना पड़ा था।
पहलागाम हमले की जिम्मेदारी और आतंकवादियों के मंसूबे
22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, और भारत ने इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी। इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई थी।
रक्षा मंत्री का बयान और भविष्य की रणनीति
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन महादेव की सफलता पर कहा कि यह भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की तत्परता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी स्थिति में अपने नागरिकों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को कड़ा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमरनाथ यात्रा 2025 से पहले भारतीय सुरक्षा बलों की सतर्कता और उनकी रणनीतिक ताकत का यह शानदार उदाहरण है।
भारत आतंकवाद से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है
भारतीय सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई ऑपरेशन महादेव ने न केवल पहलागाम आतंकी हमले के दोषियों को सजा दी, बल्कि यह साबित किया कि भारत आतंकवाद से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है। यह दाचीगाम और श्रीनगर क्षेत्र में सुरक्षा बलों की निरंतर निगरानी और अपनी सामरिक रणनीतियों के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ नायकता की पुष्टि करता है।



