वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर चारों तरफ चर्चा जोरों पर है। इसको लेकर पक्ष विपक्ष के कई नेता बयान दें रहे हैं। इसी कड़ी में एक नया बयान हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची ने भी दिया है। उन्होंने मीडिया से अपनी बात रखते हुए कहा कि “वक्फ बोर्ड की जमीन हमारे देश की सेना और बांग्लादेशी हिंदुओं को दे देनी चाहिए।” उन्होंने मुजफ्फरनगर कोर्ट के बाहर अपनी यह प्रतिक्रिया दी है।
क्या बोलीं साध्वी प्राची?
साध्वी प्राची अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बनीं रहतीं हैं। फिर इस बार उन्होंने एक बयान दिया है जिससे सब तरफ खलबली मची हुई है। उन्होंने कहा कि “वक्फ बोर्ड की जमीन हमारे देश की सेना और बांग्लादेशी हिंदुओं को दे देनी चाहिए।” उन्होंने बांग्लादेश की परिस्थितियों पर दुःख जताते हुए कहा कि “वहां हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को देखकर मेरा दिल दहल गया है। वहां न सिर्फ मंदिरों को तोड़ा जा रहा, बल्कि हिंदुओं को बेरहमी से पीटा भी जा रहा है। हिंदू बहन-बेटियों के साथ सरेआम अत्याचार बलात्कार किया जा रहा है। हालात काफी बुरे हैं। पीएम हसीना को हमारे देश में शरण लेनी पड़ रही है।जहां-जहां कट्टरवादियों की जनसंख्या बढ़ रही है हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है।”
साध्वी प्राची सुनवाई के लिए आई थीं मुजफ्फरनगर
साध्वी प्राची वर्ष 2013 नगला मदोड महापंचायत मामले में मुजफ्फरनगर कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची थीं। सुनवाई के बाद कोर्ट के बाहर उन्होंने मीडिया से बात की और इस दौरान उन्होंने कहा कि 2013 नगला मदोड महापंचायत का मुकदमा उनके ऊपर चल रहा है। ऐसे में कोर्ट के आदेश का पालन करना मेरा कर्तव्य है। वहीं, इस दौरान उन्होंने वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर भी बयान दिया है।
नेमप्लेट मुद्दे पर भी साध्वी प्राची ने दिया था बयान
ये पहली बार नहीं है जब साध्वी प्राची ने खुलेआम धर्म से संबंधित बयान दिया है। वो इस तरह के कई मुद्दों पर पहले भी बयान दे चुकी हैं और जानी भी जातीं हैं। और हाल हीं में उन्होंने नेमप्लेट मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि दूसरे समुदाय के लोग हिंदुओं के नाम से ढाबे, होटल, रेस्टोरेंट चला सकते हैं, लेकिन अपना नाम नहीं लिख सकतें। अगर उन्हें ऐसा ही करना है तो वो हिंदू धर्म अपना लें, हम उनका स्वागत करेंगे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सावन के पवित्र महीने में पूरे राज्य में कांवड़ यात्रा के दौरान रास्ते में मौजूद दुकानों के मालिकों को नेमप्लेट रखने का निर्देश जारी किया था। इसको लेकर कई विपक्षी नेताओं ने सवाल भी खड़े किए थे और योगी आदित्यानाथ पर निशाना भी साधा था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।