नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023 को लेकर जैसे ही चर्चाएं होने लगी, तो सत्ता पक्ष के साथ विपक्षी पार्टियों ने भी एक सुर साधकर इस चर्चा में भाग लेते हुए बिल को लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास करा दिया। लेकिन महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद से अब परिसीमन को लेकर कई राज्यों के नेताओं की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। जहां कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने राजसभा से मांग करते हुए कहा है कि जनगणना और परिसीमन से पहले देश में महिला आरक्षण कानून को लागू किया जाए।
कानून लागू करने से पहले होगी जनगणना
महिला आरक्षण कानून देश में लागू करने से पहले पूरे देश में जनगणना होगी। बता दें कि भारत में पहले आम चुनाव के समय लोकसभा सीटों की संख्या 489 थी। वहीं इसके बाद 1971 की जनगणना हुई, तो इसके आधार पर ही वर्ष 1976 में परिसीमन हुआ था। जहां इस परिसीमन के बाद देश में लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाकर 543 कर दी गई। वहीं अब 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद होने जा रही जनगणना में ये आंकड़े एक बार फिर बदलने की संभावना है।
कांग्रेस नेता ने दिया बयान
महिला आरक्षण बिल के दोनों सदनों के पास होने के बाद जनगणना और परिसीमन को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। जहां केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद जनगणना हो और परिसीमन के बाद कानून लागू करके महिलाओं को आरक्षण दिया जाए। वहीं इस पर कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने राज्यसभा में मांग करते हुए कहा कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए।
आखिर क्या है परिसीमन
परिसीमन किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र का दायरा तय करती है। जहां परिसीमन से ही यह निर्धारित किया जाता है कि लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव के दौरान निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं क्या होंगी। दरअसल समय समय पर जनसंख्या में बदलाव होता रहता है। इसलिए परिसीमन के तहत सीटों की संख्या में भी कमी या इजाफा किया जाता है। वहीं परिसीमन के दौरान अनुसूचित वर्गों को ध्यान में रखते हुए आरक्षित सीटों का भी निर्धारण करना होता है।
आखिर दक्षिणी राज्यों को क्यों हो रही दिक्कत
महिला आरक्षण कानून लागू करने से पहले परिसीमन को लेकर दक्षिणी राज्यों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। जहां दिक्कत बढ़ने का कारण यह है कि कई राज्यों ने अपने राज्य में जनसंख्या पर काफी नियंत्रण किया है। जहां जनगणना के बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटों में बदलाव हो सकता है। जिसमें कम जनसंख्या वाले राज्यों की लोकसभा और राज्यसभा की सीटों कम की जा सकती हैं। वहीं अधिक जनसंख्या वाले राज्यों की लोकसभा और राज्यसभा सीटों बढ़ाई जा सकती है। जिसके चलते दक्षिणी राज्य परेशान हैं, क्योंकि दक्षिणी राज्यों में जनसंख्या में कमी हुई है। जिसके चलते उन राज्यों की लोकसभा और राज्यसभा की सीटें कम की जा सकती हैं।