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आज महिला आरक्षण बिल पर होगी बहस, लेकिन इतना आसान नहीं है 33 फीसदी आरक्षण मिलना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में कई बिलों के पेश होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन विशेष सत्र के पहले दिन से ही यह स्पष्ट हो गया था कि इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण को लेकर बिल पेश किया जाएगा। जहां मंगलवार को नए संसद भवन में आयोजित हुई संसद के विशेष सत्र की मीटिंग में महिला आरक्षण को लेकर काफी चर्चा हुई। जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में इस बिल को लेकर काफी वाद विवाद भी हुआ। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिला आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता हुआ दिख रहा है कि इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पास हो जाएगा। 

महिला आरक्षण को लेकर पेश किया गया था बिल

नए संसद भवन में केंद्र सरकार ने इस संसद का पहला बिल महिला आरक्षण को लेकर पेश किया। हालांकि इस बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ रखा गया। जहां इस बिल को लेकर संसद में खूब चर्चा हुई। केंद्र सरकार ने कहा कि महिलाओं के आरक्षण से संबंधित इस संविधान संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र और राज्य स्तर पर नीति बनाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। हालांकि अभी बिल में इस आरक्षण को 15 साल तक के लिए ही निर्धारित किया गया है। यानी की अगर बिल लागू होता है, तो महिलाओं को 15 साल तक संसद भवन में आरक्षण दिया जायेगा।

आज फिर होगी महिला आरक्षण को लेकर चर्चा

महिला आरक्षण यानी की ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पर आज नई संसद में फिर से चर्चा होगी। जहां आज चर्चा में केंद्र सरकार द्वारा बताया जाएगा कि ये बिल पास होना क्यों आवश्यक है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा यह पहले भी स्पष्ट कर दिया गया कि संसद में महिला आरक्षण को लेकर बिल पेश किया जा सकता है। जहां इस बिल में लोकसभा और राज्यसभा सीटों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने का जिक्र है। वहीं यह आरक्षण 15 वर्ष तक ही सीमित रहेगा। हालांकि संसद के पास इस बिल की समय सीमा बढ़ाए जाने का भी अधिकार होगा।

लेकिन आसान नहीं होगा कानून बनाना

केंद्र सरकार को इस समय पूर्ण बहुमत प्राप्त है। यानी की केंद्र सरकार इस बिल को आसानी से पास करके कानून बना सकती है। हालांकि अभी ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ को कानून बनाना इतना आसान नहीं है। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गए बिल में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है। हालांकि, इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का कोई जिक्र नहीं किया गया है। वहीं विधेयक में लिखे मसौदे में साफ तौर पर कहा गया है कि “जितना संभव हो सके”, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से भरी जाएंगी। वहीं आरक्षित सीटों को लेकर इसमें बताया गया है कि, “जितना संभव हो” एक तिहाई सीटें एससी और एसटी महिलाओं के लिए होंगी।लेकिन भारत में अभी तक जातिगत जनगणना नहीं हुई है। ऐसे में 2024 में लोकसभा चुनाव हैं। जहां लोकसभा चुनाव होने के बाद ही जातिगत जनगणना संभव है। इसलिए लोकसभा चुनाव के बाद ही इस बिल को कानून बनाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था बयान

महिला आरक्षण बिल पर नए संसद भवन में काफी देर तक चर्चा हुई। जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपना अपना मत रखा। वहीं इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया, लेकिन बिल को पास कराने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था और इस वजह से यह सपना अधूरा रह गया। आज भगवान ने मुझे इसे आगे बढ़ाने का अवसर दिया है।” इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार आज दोनों सदनों में महिलाओं की भागीदारी पर एक नया विधेयक ला रही है।” 

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