इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदी भाषा को लेकर केंद्र सरकार को एक बड़ा सुझाव दिया है। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि हिंदी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा बनाना चाहिए। दरअसल यह सुझाव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान दिया। जहां जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है। बता दें कि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की मांग कई वर्षों से उठ रही है, लेकिन अभी तक इस पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं आया है।
भारत में सबसे ज्यादा बोली, लिखी और समझी जाने वाली भाषा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने का सुझाव देते हुए कहा कि केंद्र सरकार हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कानून बनाए। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में अन्य भाषाओं का भी सम्मान होना चाहिए, लेकिन यह सच्चाई है कि भारत में हिंदी सबसे ज्यादा बोली, लिखी और समझी जाने वाली भाषा है। वहीं अगर आंकड़ों पर भी नजर डालें, तो भारत के अधिकतर राज्यों में हिंदी भाषा ही बोली जाती है।
हिंदी भारतवर्ष की एकता की प्रतीक है
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने हिंदी भाषा की पहचान बताते हुए कहा कि हिंदी भारतवर्ष की एकता की प्रतीक है और इस प्रतिष्ठा के हकदार हम सब भारतीय हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव और लगातार कामकाज में इस्तेमाल किए जाने को लेकर कहा कि दूसरी ओर वह भाषा, जो सैंकड़ों वर्षों तक गुलामी के दौरान बोली जाती रही थी, आज वह देश की अदालतों और उच्च संस्थानों की भाषा बन चुकी है।
हिंदू मुस्लिमों ने समान रूप से हिंदी में व्यक्त किए भाव
भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। जहां इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव ने हिंदी दिवस पर सारे आदेश हिंदी में ही लिखे। उन्होंने कहा कि 14 सितंबर को हिंदी में लिखे आदेश हिंदी दिवस को समर्पित हैं। बता दें कि कोर्ट ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को भारत की राजभाषा माना गया और देवनागरी लिपि को मान्यता दी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी बताया कि बड़े बड़े ग्रंथ भी संस्कृत और हिंदी भाषा में लिखे गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संपूर्ण भारत के कवियों की भाषा, स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के जोशीले नारे हिंदी में बोले गए। उन्होंने बताया कि हिंदू और मुस्लिमों ने समान रूप से हिंदी भाषा में अपने भाव व्यक्त किए, लेकिन यह दुखद है कि हिंदी भाषा को अभी तक राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं मिल सका।
क्या हिंदी बन पाएगी भारत की राष्ट्रभाषा?
इस समय यह बड़ा प्रश्न भारत के सामने खड़ा है कि आखिर किस भाषा को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाया जाए। इसी असमंजस के चलते अभी तक भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। लेकिन जब भारत विश्व में इतनी ख्याति हासिल कर रहा है, ऐसे वक्त में भारत को किसी एक भाषा को अपनी राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करना होगा। और इसके लिए हिंदी भाषा से बड़ा कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि हिंदी भाषा ही ऐसी भाषा है, जो भारत के ज्यादातर राज्यों में बोली जाती है।