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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के आदित्य एल-1 मिशन का किया जिक्र, आखिर क्या है इसरो का यह मिशन और कब होगा शुरू

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चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग को लेकर इसरो सहित पूरा भारत देश अभी भी जश्न में सरोबार है। हालांकि इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के एक और मिशन को लेकर चर्चा की। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-3 की लैंडिंग के समय इसरो के साथ वर्चुअल रूप से जुड़े हुए थे। वहीं जब इसरो का यह मिशन कामयाब हो गया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के आदित्य एल-1 मिशन का भी जिक्र किया। जहां अब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इसरो का नया मिशन क्या है और इसका उद्देश्य क्या है।

ये है इसरो का नया मिशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के जिस आदित्य एल-1 मिशन का जिक्र किया है, वह इसरो का आगामी मिशन है। दरअसल इसरो चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद अब सूरज का भी अध्ययन करेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दे की इसरो इस मिशन के माध्यम से सूरज पर 24 घंटे नजर रखेगा। यानी की 24 घंटे में सूरज पर क्या-क्या बदलाव होते हैं, इसकी जानकारी इसरो को इस मिशन के माध्यम से मिल जाएगी। आदित्य एल-1 के साथ भारत पहली बार सौरमंडल में स्पेस ऑब्जर्वेटरी तैनात करेगा। जो हर वक्त सूरज की हर एक गतिविधि पर नजर रखेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह इसरो के साथ

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह इसरो के साथ हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब चंद्रयान-2 की लैंडिंग असफल हो गई थी, तब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो के साथ खड़े हुए थे। यही कारण था कि इसरो का मनोबल नहीं टूटा और इसरो ने चंद्रयान-3 के रूप में चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की। इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैज्ञानिकों के साथ हैं और वह इसरो के हर एक मिशन में उनका साथ देंगे।

इसी माह या फिर अगले माह लॉन्च होगा मिशन

इसरो का नया मिशन आदित्य एल-1 बेहद जल्द लॉन्च होने वाला है। आपको बता दें कि इसरो इस मिशन को इसी माह के अंतिम सप्ताह में या फिर सितंबर माह के प्रारंभ में लॉन्च कर सकता है। हालांकि आपको यह भी ज्ञात होना चाहिए कि इसरो का यह मिशन बेहद जटिल होगा। हालांकि इसरो इस जटिल मिशन को आसान बनाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल सूरज के सिस्टम के बीच पहला लैरेंजियन पॉइंट है। इसी पॉइंट पर इसरो आदित्य-एल 1 को उतारेगा। अगर यह मिशन भी सफल हुआ, तो भारत के लिए सौरमंडल में स्पेस ऑब्जर्वेटरी तैनात करना ऐतिहासिक कार्य होगा। 

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