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लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद अब महिला आरक्षण पर राष्ट्रपति के होंगे हस्ताक्षर, क्या हस्ताक्षर के तुरंत बाद बन जायेगा कानून

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संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन महिला आरक्षण को लेकर पेश किया गया नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023 राज्यसभा में भी पास हो गया। जहां विधेयक के पास होने के बाद सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्षी भी काफी खुश हैं। क्योंकि सत्ता पक्ष के साथ विपक्षी पार्टियों ने भी इस बिल को पास कराने में अपना समर्थन दिया है। वहीं लोकसभा और राज्यसभा से विधेयक पास होने के बाद ये विधेयक राष्ट्रपति के पास जाएगा। जहां राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद महिला आरक्षण को लेकर कानून बन जायेगा। लेकिन इसी बीच महिला आरक्षण को लेकर एक सवाल लगातार चर्चाओं में है कि क्या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के तुरंत बाद ही ये कानून बन जायेगा ?

राज्यसभा में बिल के पक्ष में पड़े सारे वोट

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद जब विधेयक राज्यसभा में पहुंचा, तो राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पूर्ण बहुमत के साथ पास हो गया। लोकसभा में इस बिल के विरोध में दो वोट पड़े थे, लेकिन राज्यसभा में बिना विरोध के नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023 पास हो गया। बता दें कि राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में कुल 215 वोट पड़े। वहीं विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया आभार

लोकसभा के बाद जैसे ही राज्यसभा से नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023 पास हुआ तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यसभा सांसदों का आभार जताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक निर्णायक क्षण! 140 करोड़ भारतीयों को बधाई। मैं उन सभी राज्यसभा सांसदों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए वोट किया। इस तरह का सर्वसम्मत समर्थन वास्तव में ख़ुशी देने वाला है।”

क्या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के तुरंत बाद बन जायेगा कानून ?

लोकसभा और राज्यसभा से नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023 को कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होंगे। लेकिन यह सवाल काफी चर्चाओं में है कि क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के तुरंत बाद यह बिल कानून बन जायेगा ? बता दें कि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद भी ये कानून तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि देश में जनगणना नहीं होती। क्योंकि जनगणना में ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। वहीं तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में भी दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2029 तक ही यह कानून के रूप में लागू हो पाएगा। 

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