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सुब्रह्मण्य भारती जैसा व्यक्तित्व सदियों में कभी एक बार मिलता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी महाकवि सुब्रमण्यम भारती की संपूर्ण कृतियों के संग्रह का विमोचन किया। यह संग्रह 23 खंडों में प्रकाशित किया गया है, जिसे सीनी विश्वनाथन ने संकलित और संपादित किया है। इन खंडों में भारती के लेखन के संस्करण, स्पष्टीकरण, दस्तावेज, पृष्ठभूमि की जानकारी और उनके दार्शनिक दृष्टिकोण का विवरण शामिल है। इस दौरान उन्होंने कहा, “आज देश महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी की जन्मजयंती मना रहा है। मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”

 

सुब्रमण्यम भारती जी की हर सांस मां भारती की सेवा के लिए समर्पित

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि सुब्रमण्यम भारती ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे। उनका दृष्टिकोण बहुत व्यापक था और उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी उस समय देश को आवश्यकता थी। महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी केवल तमिलनाडु और तमिल भाषा की धरोहर नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे विचारक हैं, जिनकी हर सांस मां भारती की सेवा के लिए समर्पित थी। उन्होंने आगे कहा, “सुब्रमण्यम भारती जैसा व्यक्तित्व सदियों में कभी एक बार मिलता है। उनका चिंतन, उनकी मेधा और उनका बहु-आयामी व्यक्तित्व आज भी हर किसी को प्रेरित और प्रभावित करता है।”

 

सुब्रमण्यम भारती जी  ने गीता का तमिल में अनुवाद किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज गीता जयंती का पावन अवसर भी है। महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी की गीता के प्रति गहरी आस्था थी और गीता ज्ञान को लेकर उनकी समझ भी उतनी ही गहरी थी। उन्होंने गीता का तमिल में अनुवाद किया और उसकी सरल तथा सुगम व्याख्या की। आज गीता जयंती, सुब्रमण्यम भारती की जयंती और उनके कार्यों के प्रकाशन का संयोग, एक प्रकार से त्रिवेणी संगम है।”

 

मेरे और सुब्रह्मण्य भारती के बीच एक जीवंत कड़ी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मेरे और सुब्रह्मण्य भारती के बीच एक जीवंत कड़ी है, एक आत्मिक कड़ी हमारी काशी भी है। मेरी काशी से उनका रिश्ता, काशी में बिताया गया उनका समय, ये काशी की विरासत का एक हिस्सा बन चुका है। वो काशी में ज्ञान प्राप्त करने आए और वहीं के होकर रह गए। उनके परिवार के कई सदस्य आज भी काशी में रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपनी शानदार मूंछें रखने की प्रेरणा भी भारतीयार को काशी में रहते हुए मिली थीं। भारतीयार ने अपनी बहुत सी रचनाएं गंगा के तट पर काशी में रहते हुए लिखी थी इसलिए आज मैं उनके शब्द संकलन के इस पवित्र काम का काशी के सांसद के रूप में भी स्वागत करता हूं। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि महाकवि भारतीयार के योगदान को समर्पित एक चेयर की स्थापना BHU में की गई है।”

 

तमिलनाडु के गौरव के लिए बहुत बड़ा अवसर है

उन्होंने आगे कहा कि आज भारत की संस्कृति और साहित्य के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों के लिए और तमिलनाडु के गौरव के लिए बहुत बड़ा अवसर है। महाकवि सुब्रमण्यम भारती के कार्यों का, उनकी रचनाओं का प्रकाशन एक बहुत बड़ा सेवायज्ञ और बहुत बड़ी साधना है और आज उसकी पूर्णाहुति हो रही है। हमारे देश में शब्दों को केवल अभिव्यक्ति ही नहीं माना गया है। हम उस संस्कृति का हिस्सा हैं, जो ‘शब्द ब्रह्म’ की बात करती है, शब्द के असीम सामर्थ्य की बात करती है।

 

उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की कल्पना 23 रूपों में की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “भारती जी दो टूक कहते थे और समाज को दिशा दिखाते थे। वे समाज को कमजोर और वंचित लोगों की मदद के लिए प्रेरित करते थे। अपनी कविता संग्रह कण्णन पाट्टु में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की कल्पना 23 रूपों में की है। अपनी एक कविता में वे गरीब परिवारों और सबसे जरूरतमंद लोगों के लिए कपड़ों का उपहार मांगते हैं। इस तरह, वे उन लोगों तक संदेश पहुंचा रहे थे, जो दान करने में सक्षम थे। परोपकार की प्रेरणा से भरी उनकी कविताओं से हमें आज भी प्रेरणा मिलती है।”

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