देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मोदी कैबिनेट ने आज ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दी है, जिसे सरकार अगले सप्ताह संसद में पेश कर सकती है। इससे पहले कैबिनेट ने इस पर बनाई गई रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को स्वीकृति दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर विचार रखा।
अगले हफ्ते पेश हो सकता है बिल
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को सरकार अगले सप्ताह संसद में पेश कर सकती है। इस बिल का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ-साथ शहरी निकाय और पंचायत चुनावों को एक ही समय पर कराने का है। सरकार इस बिल पर व्यापक चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज सकती है, ताकि इस पर आम सहमति बन सके।
एक राष्ट्र एक चुनाव’ उत्साह की एक लहर लेकर आया है
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा, “देश के लिए ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ उत्साह की एक लहर लेकर आया है। सबसे पहले तो चुनाव के दौरान इतना खर्चा होता है, महीने भर से अधिक समय के लिए सभी कर्मचारी कार्यों में संलग्न हो जाते हैं, सारे संस्थान रुक जाते हैं और हमारे देश वासियों को बार-बार मतदान के लिए भेजा जाता है। यह इस समय की जरूरत है हालांकि ये बहुत पहले हो जाना चाहिए था।”
हर भारतवासी को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए
क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लाभ
सरकार का कहना है कि एक साथ चुनाव होने से समय और धन की बचत होगी, क्योंकि बार-बार चुनावी प्रक्रिया का खर्च कम होगा। प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार होगा, क्योंकि चुनावी तैयारियों के लिए संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा। सुरक्षा बलों पर कम दबाव पड़ेगा क्योंकि तैनाती केवल एक बार होगी, जिससे उनकी ताकत का सही उपयोग होगा। चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा समय मिलेगा, जिससे प्रत्याशी अपने मुद्दों को बेहतर तरीके से जनता तक पहुंचा सकेंगे। विकास कार्यों में गति आएगी क्योंकि चुनावों के कारण सरकारी कर्मचारियों की कमी नहीं होगी। चुनावी ड्यूटी के कारण सरकारी कार्यों में रुकावट की समस्या कम होगी।
अगर यह बिल पास हो जाता है, तो 2029 तक ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ लागू होगा
- मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटाना पड़ेगा।
- जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
- यदि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत होते हैं, तो यह व्यवस्था 2029 से लागू होगी। इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराना जरूरी होगा।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में वर्तमान में राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब है कि पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। इसका मतलब यह है कि मतदाता एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से लोकसभा और राज्य विधानसभा के सदस्य चुनेंगे। बता दें कि आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि, 1968 और 1969 में कई राज्यों की विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया और फिर 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इसके बाद से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की परंपरा टूट गई और चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे।