आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी देश में CAA को लागू करने की तैयारी में जुट गई है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए प्रताड़ित प्रवासियों (हिंदू, सिख ,जैन, बौद्ध पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भाजपा CAA को लाने जा रही है। सूत्रों ने बताया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम यानि कि CAA को लेकर सरकार चुनाव से पहले ही कोई बड़ी घोषणा कर सकती है। साथ ही आपको यह भी बता दें कि इस कानून को लेकर दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई थी। कानून पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और दंगे शुरू हो गए। विधेयक में प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने की बात कही गई है।
सीएए को लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता – अमित शाह
पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल में भाजपा की सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “भाजपा CAA के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने ममता बनर्जी को लेकर कहा था “दीदी अक्सर CAA के बारे में हमारे शरणार्थी भाइयों को गुमराह करती हैं। मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि CAA देश का कानून है और इसे लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है।सभी शरणार्थीयों को नागरिकता मिलेगी। भाजपा इसके लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।”
विरोध के कारण कानून लागू होने में हुई देरी
भाजपा सरकार द्वारा लाए गए सबसे महत्वपूर्ण कानून में CAA महत्वपूर्ण स्थान रखता है। CAA के कार्यान्वयन में हुई देरी के बारे में सरकार ने कई कारणों को बताया है। इसका एक मुख्य कारण असम, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में होना वाला विरोध है। असम के विरोध प्रदर्शन इस वजह से भड़के थे कि यह कानून राज्य की जनसांख्यिकी को बदल देगा। विरोध केवल उत्तर पूर्व तक ही नहीं रहा, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी फैल गया। CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई।
बिना दस्तावेज दिखाए मिलेगी नागरिकता
CAA को लागू करने के लिए सरकार पूर्ण रूप से तैयार है। अधिकारियों ने बताया कि CAA को लागू करने के लिए हम तैयार हैं। सूत्रों के द्वारा यह भी सामने आया कि CAA को चुनाव से पहले ही लागू करने की पूरी संभावना है। सरकारी पोर्टल भी तैयार हो गए हैं। सूत्रों ने बताया कि इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदक आसानी से घर बैठे मोबाइल से ही आवेदन कर सकेंगे। आवेदन में आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा, जब वे बिना दस्तावेज भारत में प्रदेश किए थे। इस प्रक्रिया में आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।