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रामलला की मूर्ति को लेकर कांग्रेस नेता का विवादित बयान, कहा – “बाल स्वरूप की तरह नहीं है रामलला की मूर्ति”

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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह की तारीख नजदीक आ गई है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों के नेता विवादित बयान से सुर्खियां बटोर रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह एक बार फिर विवादित बयान से सुर्खियों में आ गए हैं। अपने बयान में उन्होंने रामलला की मूर्ति पर सवाल उठाया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मंदिर में विराजमान रामलला की मूर्ति बाल स्वरूप की तरह नहीं लग रही है। कांग्रेस नेता के इस बयान पर पलटवार करते हुए हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि दिग्विजय सिंह हमेशा राम विरोधी रहे हैं। वह शुरू से ही हर चीज में खामियां निकालते रहे हैं।

दिग्विजय सिंह का विवादित बयान

अयोध्या में हो रहे प्राण प्रतिष्ठान समारोह से पहले ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का विवादित बयान आ गया है। इस बार कांग्रेस नेता ने रामलला की मूर्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मैं शुरू से कहता आ रहा हूं कि जिस राम की मूर्ति को लेकर विवाद हुआ और उसे तोड़ दिया गया, वह कहां है? दूसरी मूर्ति की क्या जरूरत थी?” उन्होंने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का जिक्र करते हुए कहा, “हमारे गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने भी सुझाव दिया था कि भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाए। राम जन्मभूमि मंदिर की मूर्ति बाल स्वरूप में होनी चाहिए और माता कौशल्या की गोद में होनी चाहिए, लेकिन मंदिर में जो मूर्ति रखी गई है वह बाल स्वरूप में नहीं दिखती है।”

दिग्विजय सिंह हमेशा राम विरोधी रहे हैं – राजू दास

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने पलटवार किया। महंत ने दिग्विजय सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि वो हमेशा राम के विरोधी थे। उन्होंने कहा, “मुख्य मुद्दा जन्मभूमि का था। अयोध्या में मंदिरों की कोई कमी नहीं है। मैं दिग्विजय सिंह जैसे लोगों से कहना चाहता हूं, जिन्होंने जाति के आधार पर समाज को बांटने की कोशिश की, वे अयोध्या आएं और मंदिरों को देखें। वहां सभी जातियों के राजाओं और शासकों के राम जानकी मंदिर हैं। दिग्विजय सिंह हमेशा राम विरोधी रहे हैं। वह शुरू से ही हर चीज में खामियां निकालते रहे हैं।”

दर्शन करने में श्रद्धालुओं को हो रही थी कठिनाई

कांग्रेस नेता पर पलटवार करते हुए हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने बताया, “सभी मूर्तियां वहीं रहेंगी, क्योंकि मूर्ति ‘बाल स्वरूप’ में थी, इसलिए लोगों को ‘दर्शन’ में कठिनाई का सामना करना पड़ता था। इसलिए ट्रस्ट ने इसे भव्यता देने की कोशिश की है।” आपको बता दें कि मूर्ति 51 इंच लंबी है और इसका वजन 1.5 टन है। मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया गया है

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