बीते दिनों ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर चर्चाएं काफी तेज थीं। केंद्र सरकार ने ‘एक देश एक चुनाव’ के लिए समिति का भी गठन कर दिया था। समिति की कई बैठक भी आयोजित हो चुकी हैं। हालांकि अभी तक एक देश एक चुनाव को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं आया है, परंतु इसी बीच कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक देश एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति को भंग किए जाने की मांग की है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने समिति को भंग किए जाने की मांग को लेकर कई कारण भी बताएं हैं।
संविधान की बुनियादी संरचना के विरुद्ध है एक देश एक चुनाव
कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव को बुनियादी संरचना के खिलाफ बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इससे जुड़ी बनी कोविंद समिति के सेक्रेटरी नितिन चंद्र को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कहा है कि ये व्यवस्था संविधान की बुनियादी संरचना के विरुद्ध है। क्योंकि एक देश एक चुनाव की व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान की मूल संरचना में बदलाव करना पड़ेगा। खड़गे ने दलील दी है कि एकसाथ चुनाव कराने के लिए कई विधान सभाओं को भंग करने की जरूरत पड़ेगी, जिनका कार्यकाल पूरा होने में समय है। ऐसे करने से उन राज्यों के मतदाताओं के साथ धोखा होगा।
एक देश एक चुनाव के विरोध का ऐलान
कांग्रेस पार्टी ने एक देश एक चुनाव के गठन को लेकर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक देश एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुरोध किया है कि उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति की हैसियत और उनके कार्यालय का केंद्र की सरकार दुरूपयोग न करे। वहीं उन्होंने उच्चाधिकार प्राप्त कोविंद समिति के सचिव चंद्रा द्वारा 18 अक्टूबर को लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए एक देश एक चुनाव का विरोध करने का स्पष्ट एलान किया है।
एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक देश एक चुनाव का विरोध करते हुए कई तर्क रखे। उनका कहना है कि यह पक्षपातपूर्ण है, क्योंकि इसमें तमाम राज्य सरकारों और प्रमुख विपक्षी दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है, जो इसकी सिफारिशों से प्रभावित होंगे। दरअसल वह समिति के गठन से भी असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि हमारे संसदीय प्रणाली में देश में एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है।