बिहार में हुई जातिगत जनगणना के बाद राहुल गांधी लगातार पूरे देश में जातिगत जनगणना कराने की बात कर रहे हैं। अपने भाषण में उन्होंने कहा है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो वह देश में सबसे पहले जातिगत जनगणना करवाएंगे। लेकिन इसी बीच राहुल गांधी यहां तक बोल बैठे कि देश में बेरोजगारी इसलिए है, क्योंकि देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है। इसके साथ ही राहुल गांधी भारतीय जनता पार्टी पर लगातार हमलावर दिखाई दिए। और उन्होंने देशवासियों से वादा किया कि वह सरकार बनने के बाद जातिगत जनगणना जरूर करवाएंगे।
क्या जाति देखकर नौकरी देंगे राहुल ?
राहुल गांधी कहते हैं कि देश में बेरोजगारी इसलिए है क्योंकि जातिगत जनगणना नहीं हुई है। अपने इस बयान से आखिर राहुल गांधी क्या सिद्ध करना चाहते हैं ? क्या राहुल गांधी पूरे देश को जाति के आधार पर बांटकर लोगों को नौकरी देना चाहते हैं। राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था कि देश में उनकी आने के बाद सबसे पहले जातिगत जनगणना करवाएगी जाएगी और ओबीसी तथा दलितों को उनका हक दिलवाया जायेगा।
क्या बिहार में खत्म हो जायेगी बेरोजगारी ?
अभी हाल ही में बिहार में जातिगत जनगणना हुई है। जिस प्रकार से राहुल गांधी ने बयान दिया है कि जातिगत जनगणना ना होने की वजह से देश में बेरोजगारी है। तो क्या अब बिहार में बेरोजगारी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी ? क्योंकि बिहार में जातिगत जनगणना पूरी हो चुकी है। बेरोजगारी खत्म करने के लिए सरकार को अच्छी नीतियां बनानी पड़ती हैं। न कि केवल जाति का पता करके बेरोजगारी खत्म की जा सकती है।
मीडिया को भी जाति में क्यों बांटना चाहते हैं राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस दौरान जनता को संबोधित करते हुए मीडिया में भी ओबीसी और दलित समाज के लोगों की बात की। राहुल गांधी ने कहा कि आखिर मीडिया में कितने लोग ओबीसी और दलित समाज से हैं। राहुल गांधी का यह सवाल साफ बयां करता है कि राहुल गांधी मीडिया को भी जाति में बांटना चाहते हैं। मीडिया लोकतंत्र का एक ऐसा चौथा स्तंभ है, जहां पर बिना जाति भेदभाव के पत्रकार संस्थान में जगह बनाते हैं। मीडिया में हर जाति हर धर्म और हर वर्ग के लोग पत्रकारिता करते हैं।