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भारत की नई मिसाइल: एक वार में पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने खत्म

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भारत अमेरिका के बंकर बस्टर्स से भी ज़्यादा घातक मिसाइल विकसित कर रहा है, जो एक ही हमले में पाकिस्तान के सभी परमाणु ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। अपनी रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करने के लिए भारत ने अग्नि-V मिसाइल के एक नए पारंपरिक (गैर-परमाणु) संस्करण पर काम शुरू कर दिया है। यह मिसाइल 7.5 टन के विशाल वारहेड से लैस होगी और इसकी सीमा 2,000-2,500 किलोमीटर तक सीमित होगी।

भारत की ताकत में बड़ा इज़ाफा

इस मिसाइल में दो प्रकार के वारहेड होंगे, एयरबर्स्ट वारहेड, जो बड़े इलाके में जमीनी ढांचों को तबाह करेगा, और बंकर-बस्टर वारहेड, जो 80-100 मीटर गहराई तक भूमिगत ठिकानों को निशाना बनाएगा। यह मिसाइल भारत की सामरिक शक्ति को और मजबूत करेगी और पाकिस्तान व चीन जैसे क्षेत्रीय देशों पर इसका बड़ा असर पड़ेगा।

 

अग्नि-V का नया रूप: क्या है खासियत?

अग्नि-V भारत की सबसे उन्नत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसे DRDO ने विकसित किया है। इसका मौजूदा संस्करण परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और 7,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार कर सकता है, जिससे चीन, पाकिस्तान और यूरोप के कुछ हिस्से इसकी जद में आते हैं। हाल की रिपोर्टों के मुताबिक, अब भारत अग्नि-V का एक नया पारंपरिक (गैर-परमाणु) संस्करण विकसित कर रहा है, जिसमें 7.5 टन का भारी वारहेड लगाया जाएगा। इस नए संस्करण की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

 

1. वारहेड के प्रकार

एयरबर्स्ट वारहेड:
यह वारहेड हवा में विस्फोट करता है और बड़े क्षेत्र में प्रभाव डालता है। इसका मकसद हवाई अड्डों, रडार स्टेशनों और सैन्य ठिकानों जैसी जमीनी संरचनाओं को एक ही वार में नष्ट करना है। इसका इस्तेमाल हवाई अड्डों को निष्क्रिय करने, विमानों को तबाह करने और व्यापक सैन्य सुविधाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इसका व्यापक असर दुश्मन की सैन्य ताकत को एक झटके में कमजोर कर सकता है।

बंकर-बस्टर वारहेड:
यह वारहेड खास तौर पर 80-100 मीटर गहराई तक स्थित भूमिगत ठिकानों को निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग दुश्मन के परमाणु हथियार भंडार, कमांड सेंटर और अन्य महत्वपूर्ण भूमिगत संरचनाओं को ध्वस्त करने में किया जाएगा। यह वारहेड कठोर कंक्रीट और स्टील की मोटी दीवारों को भेदने की क्षमता रखता है, जिससे यह अत्यधिक प्रभावी साबित होता है।

 

2. रेंज और तकनीक

रेंज:
इस नए संस्करण की रेंज 2000 से 2500 किलोमीटर के बीच होगी, जो मौजूदा अग्नि-V की 7000 किलोमीटर रेंज से कम है। रेंज में यह कमी 7.5 टन के भारी वारहेड के कारण है, क्योंकि भारी पेलोड मिसाइल की दूरी को सीमित कर देता है।

लॉन्च सिस्टम:
यह मिसाइल कैनिस्टर लॉन्च सिस्टम से लैस है, जिससे इसे सड़क या रेलवे के जरिए आसानी से ले जाया और कहीं भी तैनात किया जा सकता है। यह प्रणाली हर मौसम और किसी भी भू-भाग में लॉन्चिंग को संभव बनाती है।

नेविगेशन:
मिसाइल में रिंग लेजर गायरोस्कोप और नैविक/जीपीएस आधारित नेविगेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है, जो इसे 10 मीटर से भी कम का सर्कुलर एरर प्रोबेबिलिटी (CEP) प्रदान करता है। यह उच्च सटीकता इसे बेहद घातक बनाती है।

सामग्री:
मिसाइल को हल्के कंपोजिट मटेरियल से बनाया गया है, जिससे इसका कुल वजन 20% तक कम हुआ है। यह रेंज को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।

गति:
यह मिसाइल मैक 24 (करीब 29,400 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से उड़ान भर सकती है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में शामिल करती है।

 

3. विकास की स्थिति

यह मिसाइल फिलहाल अपने प्रारंभिक विकास चरण में है। DRDO ने इसके डिज़ाइन और इंजीनियरिंग पर काम शुरू कर दिया है, हालांकि इसका पहला परीक्षण अब तक नहीं हुआ है। मार्च 2024 में मिशन दिव्यास्त्र के तहत अग्नि-V के मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) वैरिएंट का सफल परीक्षण किया गया था, जिसने भारत की उन्नत तकनीकी क्षमता को सिद्ध किया। इसी तकनीक का उपयोग इस नए पारंपरिक संस्करण में भी किया जा सकता है।

 

क्षेत्रीय देशों पर प्रभाव

अग्नि-V का यह नया संस्करण भारत की सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा और इसका प्रभाव विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन जैसे क्षेत्रीय देशों की सुरक्षा नीतियों पर गहराई से पड़ेगा।

 

पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा प्रभाव?

रेंज और लक्ष्य:
2000-2500 किमी की रेंज वाली यह मिसाइल पूरे पाकिस्तान को अपने निशाने पर रखती है। विशेष रूप से इसका बंकर-बस्टर वारहेड पाकिस्तान के किराना हिल्स जैसे गहरे भूमिगत परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट करने में सक्षम है।

सैन्य ठिकाने:
एयरबर्स्ट वारहेड की मदद से भारत पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य हवाई अड्डों — जैसे पेशावर, कराची और इस्लामाबाद — को निष्क्रिय कर सकता है, जिससे पाकिस्तान की वायुसेना की ताकत गंभीर रूप से कमजोर हो सकती है।

रणनीतिक संदेश:
यह मिसाइल भारत की नो-फर्स्ट-यूज नीति को और मजबूत करती है, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट संदेश देती है कि भारत किसी भी आक्रामक कार्रवाई का प्रभावी जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। X (पूर्व ट्विटर) पर एक यूजर (@InsightGL) ने लिखा कि यह मिसाइल किराना हिल्स जैसे ठिकानों के प्रवेश द्वार को ही नहीं, बल्कि पूरे ढांचे को नष्ट करने की क्षमता रखती है।

प्रतिस्पर्धा:
पाकिस्तान ने 2017 में अबाबील मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसकी रेंज 2200 किमी बताई गई और MIRV क्षमता का दावा किया गया। हालांकि विशेषज्ञों की राय में पाकिस्तान की यह तकनीक अब भी भारत की तुलना में कमजोर है। अग्नि-V का यह नया संस्करण पाकिस्तान की मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करेगा।

 

सटीकता और घातकता

यह मिसाइल 10 मीटर से भी कम सर्कुलर एरर प्रोबेबलिटी (CEP) के साथ अत्यधिक सटीकता रखती है, जो इसे छोटे और मजबूत लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम बनाती है। एयरबर्स्ट वारहेड बड़े क्षेत्र में व्यापक विनाश फैला सकता है, जबकि बंकर-बस्टर वारहेड गहरे भूमिगत ठिकानों को तबाह करने में विशेषज्ञ है।

 

क्षेत्रीय संतुलन

यह मिसाइल भारत को पाकिस्तान और चीन के खिलाफ एक सशक्त पारंपरिक डिटरेंट प्रदान करेगी। X (पूर्व ट्विटर) पर एक यूजर (@para10sf) ने लिखा कि यह मिसाइल भारत की पारंपरिक डिटरेंस रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। यह भारत के न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, हवा और समुद्र आधारित परमाणु क्षमता) को पूरक बनाकर क्षेत्रीय सुरक्षा को और मजबूती देगा।

 

तकनीकी प्रगति

इस अग्नि-V संस्करण में उन्नत कंपोजिट मटेरियल, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स और अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, जिससे मिसाइल हल्की और अधिक भरोसेमंद होगी।

मिशन दिव्यास्त्र (2024) में MIRV तकनीक की सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके जैसे विश्व के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है, जो इस अत्याधुनिक तकनीक में महारत रखते हैं।

 

 

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