बांग्लादेश में हिंदुओं व अल्पसंख्यको पर हो रहे अत्याचार पर रोक लगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहें हैं और पूरे विश्व में इसको लेकर आवाज भी उठ रहीं हैं। इसे लेकर भारत में भी कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान के कुछ घंटों बाद ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। और अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट किया है।
मायावती ने क्या लिखा एक्स पोस्ट में?
अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने लिखा कि “बांग्लादेश में रह रहे हिन्दू समाज व अन्य अल्पसंख्यक चाहे वो किसी भी जाति व वर्ग के हों उन पर पिछले कुछ दिनों से हो रही हिंसा अति- दुःखद एवं चिन्तनीय है। इस मामले को केन्द्र सरकार गम्भीरता से ले व उचित कदम उठाये, वरना इनका ज्यादा नुकसान ना हो जाये।”
क्या बोले थे अखिलेश यादव?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बांग्लादेश हिंसा पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नज़रिए वाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए। भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाया जाना चाहिए। ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है। जिसके कुछ घंटों बाद ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मामले पर बयान दिया।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की कब से हुई शुरुआत ?
दरअसल, बीते 5 अगस्त को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों, विशेषकर हिंदुओं के उत्पीड़न की असंख्य घटनाएं सामने आ रही हैं। हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे है, उनके घरों को और साथ ही मंदिरों को भी तोड़ा जा रहा है। लगातार जारी हिंसा बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है, यहां मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की शपथ भी ले ली गई है। लेकिन हालात अभी भी बद- से- बदतर होते नजर आ रहें है।