उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों को अब पढ़ाई के लिए अपना घर छोड़कर प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि योगी सरकार ने निर्देश दिए है कि अब प्रदेश के हर जिले में एक विश्वविद्यालय होगा।
हर जिले में विश्विद्यालय खोलने का प्रदेश सरकार ने लिया है संकल्प
इसके लिए प्रदेश के हर मंडल में एक विश्वविद्यालय स्थापित करने का लक्ष्य तो मुख्यमंत्री योगी की सरकार पहले ही पूरा कर चुकी है। लेकिन इसके बाद अब प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक ओर नया संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए अब हर जिले में प्रदेश स्तर के विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।
निजी निवेशकों के सहयोग से बनेंगे विश्वविद्यालय
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग को देखते हुए निजी निवेशकों को आकर्षित किया जाना आवश्यक है। इससे विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध संस्थानों, पाठ्यक्रमों और सीटों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
सरकारी आवास पर सीएम योगी ने की बैठक
सीएम योगी ने अपने सरकारी आवास पर उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक में यह निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने कहा कि अभी प्रदेश के 35 जिलों में ही विश्वविद्यालय हैं। बाकी जो भी जिलें हैं। जिनमें अभी विश्वविद्यालय नहीं है ऐसे सभी जिलों में विश्वविद्यालय खोलने के लिए निजी निवेश को सरकार की ओर से प्रोत्साहित किया जाएगा।
बैठक में सीएम ने दिए निर्देश
सीएम ने उच्च शिक्षा में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीति तैयार करने के निर्देश भी दिए है ताकि एक जिला, एक विश्वविद्यालय के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश के आकांक्षात्मक जिलों में विश्वविद्यालय खोलने के लिए आने वाले निजी निवेशकों को अतिरिक्त छूट का प्रावधान किए जाने के संबंध में भी निर्देश दिए है।
पिछड़े जिलों पर है सरकार का फोकस
दरअसल आठ आकांक्षी जिलें हैं, जिसमें बहराइच, बलरामपुर, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर व सोनभद्र शामिल हैं। इन पिछड़े जिलों में विश्वविद्यालय स्थापित कर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने पर अधिक जोर दिया जाएगा।
इंटरमीडिएट उत्तीर्ण होने के बाद कालेजों में कम जा रहे छात्र
गौरतलब है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर करीब 25.6 प्रतिशत है। यानी इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद मात्र 25.6 प्रतिशत छात्र ही विश्वविद्यालयो व कालेजों में दाखिला लेते हैं।
केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का होगा कार्य
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्ष 2020 के अनुसार वर्ष 2035 तक सकल नामांकन दर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करना है। ऐसे में भविष्य की अपार संभावनाओं को देखते हुए अभी से तैयारियां शुरू की जा रही है। जिसको ध्यान में रखते हुए भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सरकार लगातार शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर दिखाई पड़ती है।