राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ संशोधन विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसे हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने पारित किया था। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही वक्फ संशोधन विधेयक अब आधिकारिक रूप से कानून बन गया है। नए कानून को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के नाम से जाना जाएगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य पक्षपात, वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण को रोकना है।
लोकसभा-राज्यसभा से भारी समर्थन के साथ हुआ था वक्फ बिल पारित
विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद, वक्फ संशोधन विधेयक को 3 अप्रैल को लोकसभा और 4 अप्रैल को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। लोकसभा में बिल के पक्ष में 288 जबकि विरोध में 232 वोट पड़े। वहीं राज्यसभा में 128 समर्थन और 95 विरोध के वोट मिले। बिल पर लंबी बहस के बाद इसे पारित किया गया। बता दें कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों ने इस बिल का समर्थन किया, जबकि विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और असली मालिकों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा।
कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग, पक्षपात और अतिक्रमण को रोकना
नए वक्फ कानून का प्रमुख उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग, पक्षपात और अतिक्रमण को रोकना है। सरकार का कहना है कि यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी के बाद यह कानून अब पूरे देश में लागू हो गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके उचित उपयोग को एक नई दिशा मिलेगी। इसके जरिए वक्फ प्रशासन में सुधार और जवाबदेही की उम्मीद की जा रही है।
मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को भी किया निरस्त
संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा और राज्यसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को पारित किया। इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, इससे जुड़े हितधारकों को सशक्त बनाना, साथ ही सर्वेक्षण, पंजीकरण और विवाद निपटान की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। इसके साथ ही मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को भी निरस्त कर दिया गया है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक कि मंजूरी के बाद क्या बोले भाजपा सांसद जगदंबिका पाल?
वक्फ (संशोधन) विधेयक की संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वक्फ में एक बड़ा सुधार किया गया है, जिसका लाभ गरीबों, पसमांदा, महिलाओं और अनाथों को मिलेगा। अगर कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी वाकई देश के मुसलमानों के बारे में चिंतित हैं, अगर वे उन्हें वोट बैंक नहीं मानते हैं, तो राहुल गांधी ने लोकसभा में ऐसे ऐतिहासिक विधेयक पर चर्चा में हिस्सा क्यों नहीं लिया? इस पर न तो राहुल गांधी ने कुछ कहा और न ही प्रियंका गांधी ने कुछ कहा। ” उन्होंने आगे कहा “अगर यह असंवैधानिक कानून था, तो राहुल गांधी को संसद में खंड-दर-खंड यह कहना चाहिए था कि जो संशोधन किया जा रहा है, वह असंवैधानिक है। उन्होंने इस पर कोई सुझाव नहीं दिया, कोई तर्क नहीं दिया, न ही प्रियंका गांधी ने कोई तर्क दिया और न ही सोनिया गांधी ने राज्यसभा में कोई तर्क दिया। आजादी के बाद पहली बार लोकसभा या राज्यसभा में किसी विधेयक पर इतनी लंबी चर्चा हुई।”
भाजपा हमेशा जनहित और देशहित के लिए कानून लाती है : भाजपा नेता मोहसिन रजा
वक्फ संशोधन विधेयक पर भाजपा नेता मोहसिन रजा ने कहा, “कांग्रेस ने मुस्लिम समाज के लोगों को 2013 के संशोधन से लूटने का काम किया था। राहुल गांधी अच्छी तरह से जानते हैं कि उस कानून को खत्म करने काम भाजपा ने किया है। कांग्रेस ने इस पर सदन में चर्चा क्यों नहीं की? वे जानते हैं कि उन्होंने जो किया है गलत किया है। भाजपा हमेशा जनहित और देशहित के लिए कानून लाती है। कांग्रेस ने मुसलमानों के उत्थान और कल्याण का काम नहीं किया।”
यह बिल मुस्लिम और इस्लाम विरोधी नहीं : केंद्रीय मंत्री किरेंन रिजिजू
केंद्रीय मंत्री किरेंन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह बिल न तो मुस्लिम विरोधी है और न ही इस्लाम विरोधी, बल्कि पूरी तरह संवैधानिक है। उन्होंने तर्क दिया कि जब यह विधेयक पहले से अस्तित्व में है, तो इसे असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है? हर जमीन देश की संपत्ति है। विपक्ष को दो टूक जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बेबुनियाद आरोप लगाने के बजाय तर्कसंगत बहस करें। बिल पर चर्चा के दौरान कलेक्टर को विरोधी के रूप में पेश किया गया, जबकि प्रहार करने के बजाय तर्कसंगत जवाब दिया जाना चाहिए था। सिर्फ संविधान हाथ में लेने से कुछ नहीं बदलता, असली मायने इसमें विश्वास और पालन करने में हैं।
यह कानून पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होगा
पहले वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंपा गया। समिति की सिफारिशों के आधार पर संशोधन कर वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 संसद में दोबारा प्रस्तुत किया गया और पारित हुआ। इस नए विधेयक में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब यह कानून पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होगा यानी यह लागू होने की तिथि से ही प्रभावी रहेगा।