राम मंदिर उद्घाटन में निमंत्रण के बाद भी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी सहित तमाम विपक्षी नेता नहीं पहुंचे, परंतु राम मंदिर उद्घाटन पर कांग्रेस हाईकमान और क्षेत्रीय नेता अलग थलग दिखाई दिए। दरअसल कांग्रेस हाईकमान की तरफ से जारी किए गए बयान से स्पष्ट हो गया था कि राम मंदिर उद्घाटन को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार विरोध करेगी। वहीं इसी बीच कांग्रेस पार्टी द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
हिमाचल और कर्नाटक में राममय दिखी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने भले ही राम मंदिर उद्घाटन में न जाने का फैसला किया, लेकिन क्षेत्रीय कांग्रेस नेताओं ने राम मंदिर उद्घाटन के दिन अपने क्षेत्र में कई कार्यक्रम आयोजित किए। बता दें कि कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक के मुख्यमंत्री एम. सिद्धारमैया ने बेंगलुरु के महादेवपुरा में एक राम मंदिर का उद्धाटन किया। वहीं हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस पार्टी के नेता विक्रमादित्य सिंह निजी तौर पर अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए।
कांग्रेस हाईकमान के फैसले का हुआ था विरोध
कांग्रेस पार्टी हाईकमान द्वारा राम मंदिर उद्घाटन में न जाने का फैसला किया गया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी हाईकमान के फैसले का कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी खूब विरोध किया। बता दें कि कांग्रेस पार्टी के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी हाईकमान से कहा था कि वह राम मंदिर उद्घाटन में न जाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया और वह राम मंदिर उद्घाटन में शामिल नहीं हुए।
कांग्रेस की दो विचारधाराएं दिखीं
राम मंदिर उद्घाटन को लेकर कांग्रेस पार्टी की दो विचारधारा दिखीं। एक तरफ कांग्रेस हाईकमान ने भारतीय जनता पार्टी पर राम मंदिर उद्घाटन को लेकर चुनावी लाभ कमाने का आरोप लगाया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के क्षेत्रीय नेताओं ने राम मंदिर उद्घाटन के दिन अपने-अपने क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित कर यह साबित कर दिया कि वह भाजपा के विरोधी जरूर हैं, लेकिन राम के विरोधी नहीं हैं। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तो यहां तक कह दिया कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं होते, तो राम मंदिर का निर्माण नहीं होता।