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अंग्रेजी कानून का मकसद भारतीयों को गुलाम रखना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज चंडीगढ़ पहुंचे, जहां उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस द्वारा आयोजित तीन नए आपराधिक कानूनों की प्रदर्शनी का निरीक्षण किया। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उनके साथ थे। पीएम मोदी और अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “आजादी के बाद से पिछले 7 दशकों में, भारतीय न्याय प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। गहन विचार-विमर्श के बाद भारतीय न्याय संहिता का निर्माण किया गया है। प्रत्येक कानून को व्यावहारिक दृष्टिकोण से जांचा गया है और भविष्य के मापदंडों के आधार पर परिष्कृत किया गया है। मैं इस उपलब्धि के लिए सर्वोच्च न्यायालय, माननीय न्यायाधीशों और देश के सभी उच्च न्यायालयों का विशेष आभार व्यक्त करता हूं।”

 

अंग्रेजी कानून का मकसद यही था कि भारतीयों गुलाम रखा जाए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि 1857 में देश का पहला बड़ा स्वतंत्रता संग्राम लड़ा गया, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं, और उसके बाद 1860 में अंग्रेजी सरकार ने भारतीय पीनल कोड (IPC) पेश किया। इसके कुछ साल बाद इंडियन पीनल एक्ट (CRPC) का पहला ढांचा अस्तित्व में आया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन कानूनों की सोच व मकसद यही था कि भारतीयों को दंड दिया जाए, उन्हें गुलाम रखा जाए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य देखिए, आजादी के बाद दशकों तक हमारे कानून उसी दंड संहिता और पीनल माइंड सेट के इर्द गिर्द ही मंडराते रहे, जिसका इस्तेमाल नागरिकों को गुलाम मानकर होता रहा।

 

1947 में सदियों की गुलामी के बाद देश हुआ आजाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि सन् 1947 में सदियों की गुलामी के बाद जब हमारा देश आजाद हुआ, पीढ़ियों के इंतजार के बाद, लोगों के बलिदानों के बाद, जब आजादी की सुबह आई, तब कैसे-कैसे सपने थे, देश में कैसा उत्साह था। देशवासियों ने सोचा था कि अंग्रेज गए हैं, तो अंग्रेजी कानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। अंग्रेजों के अत्याचार के, उनके शोषण का जरिया ये कानून ही तो थे। ये कानून ही तब बनाए गए थे, जब अंग्रेजी सत्ता भारत पर अपना शिकंजा बनाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी।

 

PM के सामने तैयार किया हत्या का काल्पनिक अपराध स्थल

चंडीगढ़ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक हत्या का काल्पनिक अपराध स्थल तैयार किया। इस दौरान पुलिस टीम ने पीएम मोदी को बताया कि वारदात पर ही वीडियोग्राफी की जाती है, इससे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं हो सकेगी।पीड़ित और गवाहों के बयान भी वीडियो रिकार्डिंग से दर्ज किए जाएंगे। इसके अलावा महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों को सूचना मिलने के दो महीने के भीतर ही निपटाना होगा। इसमें जांच से लेकर न्याय तक की सभी प्रक्रियाओं की झलक दिखाई गई।

 

सुरक्षित समाज, विकसित भारत- सजा से न्याय तक

इस दौरान पीएम मोदी ने सरकार के सभी विभागों से एक आग्रह किया कि हमारे प्रशासन से गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त कर नए भारत की सोच को प्रत्यापित करना चाहिए। इस प्रदर्शनी और तीन नए आपराधिक कानूनों का मकसद औपनिवेशिक युग के कानूनों को हटाना है और आम जनता को जल्दी से न्याय दिलाना है। पूरे मिशन के लिए नारा दिया गया है- सुरक्षित समाज, विकसित भारत- सजा से न्याय तक।

 

क्या बोले गृह मंत्री अमित शाह?

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इससे पहले जो कानून थे, वो 160 साल पहले अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे और वो कानून नागरिकों के लिए नहीं बल्कि अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा ये जो कानून लाए गए हैं, ये भारतीयों द्वारा, भारत की संसद में और भारतीयों को न्याय व सुरक्षा दिलाने के लिए बनाए गए हैं। अमित शाह ने कहा कि ढेर सारे प्रावधान हैं, नई व्यवस्था बनानी थी, इस कठिन काम को चंडीगढ़ ने पांच महीने में पूरा कर लिया है। ऐसे करके चंडीगढ़ देश का पहला शहर बन गया है। कोई भी एफआईआर हो तो अब अधिकतम 3 साल के अंदर न्याय मिलेगा, तारीख पर तारीख नहीं मिलेगी। ये दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म बनने जा रहा है।

 

 

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