26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण अब पक्का हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उसने प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। अपनी याचिका में राणा ने तर्क दिया कि पाकिस्तानी मूल का मुसलमान होने के कारण उसे भारत में उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है। उसने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का भी हवाला दिया। हालांकि, अमेरिकी अदालत ने उसके दावों को खारिज कर दिया, जिससे उसके भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।
भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए तहव्वुर राणा ने चली थी चाल
इससे पहले, तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए एक नई चाल चली थी। उसने अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका दायर कर प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में उसने दावा किया कि भारत भेजे जाने पर उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। राणा ने यह भी तर्क दिया कि राष्ट्रीय, धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर उसे निशाना बनाया जा सकता है।
पिछले महीने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी
किस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा (64) को फिलहाल लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। तहव्वुर राणा 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पिछले महीने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी।
डोनाल्ड ट्रंप ने की थी घोषणा
अमेरिकी यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे खतरनाक अपराधियों और मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत भेजने की मंजूरी दे दी है, जहां वह न्यायिक प्रक्रिया का सामना करेगा। इसलिए, वह भारत वापस जा रहा है।”
भारत राणा के जल्द प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा
इससे पहले जनवरी में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी, क्योंकि उसने उसकी समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी। पिछले महीने, भारत ने कहा था कि वह राणा के जल्द प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया था कि 21 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “अब हम मुंबई आतंकी हमले के आरोपी को जल्द भारत लाने के लिए प्रक्रियात्मक मुद्दों पर अमेरिकी पक्ष के साथ कार्य कर रहे हैं।”
मुंबई में हुए आतंकी हमले में कैसे था तहव्वुर राणा का हाथ
तहव्वुर राणा पर 2008 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड डेविड हेडली की मदद करने का आरोप है। हेडली ने राणा की सहायता से पांच बार अमेरिका से भारत आकर उन स्थानों की रेकी की थी, जहां बाद में हमले हुए। राणा ने न केवल हमले की साजिश में हेडली की मदद की, बल्कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का भी पूरा साथ दिया। उसके खिलाफ मुंबई हमले की साजिश रचने, युद्ध छेड़ने, हत्या, धोखाधड़ी, जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने और आतंकी हमले को अंजाम देने जैसे गंभीर आरोप हैं।
26 नवंबर 2008 को क्या हुआ था?
26 नवंबर 2008 को, 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने अरब सागर के रास्ते मुंबई में घुसकर रेलवे स्टेशन, दो होटल और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। करीब 60 घंटे तक चले इस हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान गई, जिससे पूरा देश दहल उठा। हमले के बाद आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया। बाद में नवंबर 2012 में पुणे की यरवदा जेल में उसे फांसी दे दी गई।