गृह मंत्रालय ने मीडिया चैनलों को एक बड़ा निर्देश जारी किया है, जिसमें उन्हें अपने प्रसारण में पृष्ठभूमि संगीत के रूप में हवाई हमले के सायरन का उपयोग बंद करने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 की धारा 3(1)(w)(i) के तहत जारी किया गया था, ताकि वास्तविक आपात स्थितियों के दौरान जनता के बीच भ्रम की स्थिति को रोका जा सके।
सायरन का उपयोग केवल जन जागरूकता के लिए करें
गृह मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी ध्वनियों का उपयोग केवल जन जागरूकता अभियानों के लिए किया जाना चाहिए, न कि नियमित कार्यक्रमों में, क्योंकि बार-बार दुरुपयोग से जनता असंवेदनशील हो सकती है और वास्तविक हमलों के दौरान खतरनाक गलतफहमी पैदा हो सकती है।
वास्तविक आपातकाल की स्थिति में नुकसानदायक
गृह मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर मीडिया से अपील की है कि वे हवाई हमले की सायरन का उपयोग नियमित रूप से न करें। इससे नागरिकों में भ्रम और आपातकालीन स्थिति में गड़बड़ी हो सकती है। मंत्रालय ने कहा कि सायरन का सामान्य प्रसारण वास्तविक आपातकाल की स्थिति में नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि लोग इसे एक सामान्य कार्यक्रम मान सकते हैं।
सुरक्षा में बन सकता है बड़ी बाधा
गृह मंत्रालय ने मीडिया को चेतावनी दी है कि हवाई हमले की सायरन का बार-बार इस्तेमाल, विशेषकर समाचार कार्यक्रमों में, नागरिकों को वास्तविक अलर्ट के प्रति अनदेखा कर सकता है। यह सुरक्षा में बड़ी बाधा बन सकता है।
ब्रेकिंग न्यूज़ में एयर डिफेंस सायरन बजाने पर गृह मंत्रालय सख्त
पिछले कुछ दिनों से आजतक, इंडिया टीवी, रिपब्लिक टीवी, एबीपी न्यूज और टाइम्स नाउ जैसे प्रमुख टीवी चैनल अपने ब्रेकिंग न्यूज़ कार्यक्रमों के दौरान एयर डिफेंस सायरन का उपयोग कर रहे थे। इस पर आपत्ति जताते हुए गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे सायरनों का इस्तेमाल, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में, बेवजह भय और भ्रम का माहौल बना रहा है। कई स्थानों पर जहां वास्तविक खतरा नहीं था, वहां भी दर्शकों में डर की भावना उत्पन्न हो रही थी।