“मेक इन इंडिया” पहल के तहत, रक्षा मंत्रालय सैन्य उपकरणों की खरीद की व्यापक समीक्षा करके एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इसका लक्ष्य यह निर्धारित करना है कि सशस्त्र बलों को प्रदान किए जाने वाले उपकरणों में किसी भी चीनी निर्मित घटक का उपयोग किया गया है या नहीं। इसके अतिरिक्त, समीक्षा रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में खामियों का आकलन करेगी। यह कदम उन रिपोर्टों के कारण उठाया जा रहा है जिनमें कहा गया है कि कुछ कंपनियों ने रक्षा उपयोग के लिए बनाए गए उत्पादों में चीनी निर्मित भागों का उपयोग किया हो सकता है।
सैन्य उपकरणों में चीनी कलपुर्जों की गहन जांच शुरू
रक्षा मंत्रालय अब सैन्य उपकरणों की गहन समीक्षा करने जा रहा है। इस समीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सशस्त्र सेनाओं के लिए खरीदे जा रहे उपकरणों में कहीं चीन में बने कलपुर्जे तो शामिल नहीं हैं। इस कदम का उद्देश्य रक्षा आपूर्ति श्रृंखला की खामियों का आकलन करना और स्वदेशी सामग्रियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि कुछ कंपनियों द्वारा रक्षा उपकरणों में चाइनीज माल का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की संभावना बढ़ रही थी।
बाहरी एजेंसी से होगी जांच: स्वदेशी सामग्री का सत्यापन
रक्षा मंत्रालय इस प्रक्रिया के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त कर सकता है, जो स्वदेशी सामग्री के दावों की जांच करेगी। यह एजेंसी आपूर्ति श्रृंखला की निर्भरता, लागत संरचनाओं और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करेगी, ताकि चीनी निर्भरता को कम किया जा सके और सुरक्षा जोखिमों से बचा जा सके।
स्वदेशी उत्पादों में चाइनीज घटकों का बढ़ा संदेह
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा मंत्रालय को जानकारी मिली है कि कुछ विक्रेताओं ने स्वदेशी सामग्री के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए हैं। इस प्रकार, चीन से आवश्यक सामान मंगवाया जा रहा है, और कभी-कभी यह सामान तीसरे देशों के माध्यम से भी आता है। ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि यह इन तकनीकी उत्पादों में चीन की घुसपैठ का एक बड़ा जरिया हो सकता है। सेना के अधिकारियों ने चीनी सामान को हटाने की योजना बनाई है, जिससे भारत की सुरक्षा क्षमता बढ़े और विदेशी निर्भरता कम हो।
संदेहास्पद आपूर्तिकर्ताओं पर कड़ी निगरानी
रक्षा मंत्रालय ने संदेहास्पद आपूर्तिकर्ताओं पर कड़ी निगरानी रखना शुरू कर दिया है। पेटेंट स्वामित्व का मूल्यांकन भी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी कंपनियों ने विकास लागत को कम करके दिखाया है, जिससे बाद में कीमतों में वृद्धि हो सकती है। मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से सैन्य उपकरणों की खरीद को तेज किया है और चीनी सामान का इस्तेमाल करने वाले विक्रेताओं पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
‘मेक इन इंडिया’ पहल से बढ़ेगा आत्मनिर्भरता का स्तर
‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत, भारतीय कंपनियों को महत्वपूर्ण घटकों का निर्माण करने में मदद दी जा रही है। इससे देश में स्वदेशी उत्पादन बढ़ेगा और चीन से होने वाली आपूर्ति निर्भरता कम होगी। फरवरी 2025 में मंत्रालय ने चीन से आए ड्रोन के आदेश रद्द कर दिए थे, जब यह पाया गया कि इन उपकरणों में चीन की सामग्री का उपयोग हो रहा था। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना गया था।
नए कदमों से सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित होगा
नई समीक्षा के साथ, सैन्य हार्डवेयर की जांच की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सुरक्षा दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रक्रिया से रक्षा उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा को और बेहतर किया जाएगा, जिससे भारत की सीमा सुरक्षा और सैन्य क्षमता मजबूत होगी।