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आखिर जातिगत जनगणना कराने के पीछे क्यों पड़े मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, देखिए कारण

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राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बड़े ऐलान कर रहे हैं। जिसमें महिलाओं को मासिक बस पास में 90 फीसदी की छूट देना, राजस्थान में जिलों की संख्या बढ़ाना, कर्मचारियों को 5 हजार रूपये की राशि प्रदान करना शामिल है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में जातिगत जनगणना करने का भी वादा किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि जब वह दोबारा सत्ता में आएंगे, तो जातिगत जनगणना करवाएंगे। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिया बयान

राजस्थान में जातिगत जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा ऐलान किया है। बता दें कि यह ऐलान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किया गया है। जहां उन्होंने जातिगत जनगणना को लेकर बयान देते हुए कहा कि “राहुल गांधी ने जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही है। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में कराई गई जाति जनगणना को रोका नहीं है, अब सरकार यहां भी जातिगत जनगणना के आदेश जारी करेगी। इस बारे में संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी ध्यान में रखा जाएगा।”

आखिर जातिगत जनगणना की बात क्यों कर रहे अशोक गहलोत

बिहार में हुई जातिगत जनगणना की तर्ज पर विपक्षी गठबंधन पूरे देश में जातिगत जनगणना करने की बात कर रहा है। बता दें कि इसी कड़ी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी राजस्थान में जातिगत जनगणना कराने का वादा किया है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में जातिगत जनगणना क्यों कराना चाहते हैं। इसका पहला कारण बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह जानना चाहते हैं कि प्रदेश में किस जाति की जनसंख्या ज्यादा है। उसी के आधार पर भविष्य में होने वाले चुनावों में प्रचार किया जायेगा।

भाजपा कर रही जातिगत जनगणना का विरोध

जातिगत गणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी विरोध कर रही है। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि वह जाति के आधार पर देश को बांटने नहीं देंगे। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि पूरा देश एक है। अगर उसमें जातिगत जनगणना करवाई जाएगी तो पूरा देश जाति के आधार पर बंट जाएगा। यही कारण है कि बीते 9 साल से केंद्र में काबिज भारतीय जनता पार्टी ने जातिगत जनगणना कराने की बात नहीं की।

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