अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के उद्घाटन को लेकर तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक की व्यवस्था को हर स्तर पर जांचा जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किए जाने के साथ-साथ विपक्ष के भी कई नेताओं को श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा आमंत्रण पत्र भेजा गया है। हालांकि विपक्ष के कई नेताओं ने आमंत्रण पत्र को असमंजस भरा बयान दिया है, जिससे अब विपक्ष के नेताओं का राम मंदिर के उद्घाटन में आना मुश्किल लग रहा है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने दिया बयान
राम मंदिर उद्घाटन समारोह में जाने को लेकर कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने बयान देते हुए कहा, “यदि आप जाते हैं तो इसका मतलब है कि आप बीजेपी के हाथों में खेल रहे हैं। यदि आप नहीं जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप हिंदू विरोधी हैं, यह बकवास है।” उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस के भीतर सीपीआई (एम) या बीजेपी की कोई विचारधारा नहीं है। हम हिंदुत्व को एक राजनीतिक सिद्धांत के रूप में देख रहे हैं। इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए हम ना तो सीपीआई (एम) हैं और ना ही बीजेपी। हमें इस मामले पर निर्णय लेने के लिए समय दें।” वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद के मुरलीधरन ने राम मंदिर उद्घाटन को लेकर कहा है कि कांग्रेस को किसी भी कीमत पर इसमें भाग नहीं लेना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष को भी मिला निमंत्रण
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष के भी कई नेताओं को आमंत्रण पत्र भेजा गया है। इस कड़ी में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी सहित कई विपक्षी नेताओं को भी ट्रस्ट ने राम मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि अभी तक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में जाने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
आस्था में भी राजनीति क्यों खोज रहा विपक्ष?
राम मंदिर उद्घाटन को लेकर आखिर विपक्षी पार्टियों आस्था में भी राजनीति क्यों खोज रही हैं? एक तरफ विपक्षी पार्टियों कह रही हैं कि राम मंदिर निर्माण का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों का यह भी कहना है कि राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में जाना बीजेपी के हाथों में खेले जाने जैसा होगा। आखिर राम मंदिर को लेकर भी विपक्ष भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर क्यों है?