लोकसभा चुनाव 2024 धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है। चुनाव को देखते हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया भी अब अपनी तैयारियां तेज कर रहा है, लेकिन अधूरी तैयारियों के बीच ही विपक्षी गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 में हराने का दावा किया है। हालांकि इंडिया गठबंधन न तो अभी तक प्रधानमंत्री उम्मीदवार का चेहरा घोषित कर पाया है और न अभी तक इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीटों के बंटवारे पर सहमति जता पाया है। आखिर इन अधूरी तैयारियों के साथ इंडिया गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में कैसे टक्कर देगा?
प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर नाराज हो गए साथी नेता
इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा? यह सवाल अभी तक बना हुआ है। 19 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित हुई बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का प्रस्ताव रखा, तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव नाराज होकर मीटिंग बीच में ही छोड़कर चले गए। अब सवाल यही बना हुआ है कि विपक्षी गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों का पसंदीदा प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा? प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ राहुल गांधी, नीतीश कुमार और अखिलेश यादव के नाम भी सामने आए हैं।
सीटों के बंटवारे पर फंसा गठबंधन
विपक्षी गठबंधन इंडिया में अभी सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गठबंधन की मीटिंग में सलाह दी है कि 31 दिसंबर तक सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझा ली जाए, जिससे चुनाव प्रचार तेजी के साथ शुरू किया जा सके। हालांकि अभी तक सीटों के बंटवारे पर सहमति यही बनी है कि क्षेत्रीय पार्टियों यह निर्धारित करें कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। ऐसा रहा तो अखिलेश यादव 80 की 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। वहीं अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली और पंजाब में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर चुके हैं। ऐसे में गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती है कि सीटों के बंटवारे की गुत्थी कैसे सुलझाई जाए?
विधनसभा चुनावों में भाजपा का सफाया करने का किया था दावा
विपक्षी गठबंधन के दावे कितने सही साबित होते हैं, इस बात का अंदाजा विधानसभा चुनावों से लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान भी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा का सफाया करने का बयान दिया था, लेकिन कांग्रेस पार्टी अपने ही राज्य नहीं बचा सकी और उसे राजस्थान और छत्तीसगढ़ से भी हाथ धोना पड़ा।