लोक पहल जन मंच

खबरें देश की, विचार देश के

Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
post
Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
post
Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors
post

आरएसएस ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग की

News Content

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने प्रस्तावना में ये शब्द जोड़े थे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अब इस बात पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है कि क्या इन शब्दों को रहना चाहिए या नहीं। होसबोले ने आगे बताया कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान की प्रस्तावना में ये शब्द शामिल नहीं थे। कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाने वाले अब संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं और उन्हें इसके लिए देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।

होसबाले ने कांग्रेस पर कसा तंज

होसबाले ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के बावजूद प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “प्रस्तावना शाश्वत है, लेकिन क्या समाजवाद भारत के लिए एक स्थायी विचारधारा के रूप में उचित है?” आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने यह सुझाव दिया कि इन शब्दों को हटाने पर विचार किया जाना चाहिए, खासकर जब उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों का आरोप लगाते हुए पार्टी से माफी की मांग की।

आरएसएस महासचिव होसबाले ने आपातकाल पर कड़ी आलोचना की

25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को याद करते हुए होसबाले ने कहा कि उस समय हजारों लोगों को जेल भेजा गया और उन पर अत्याचार किए गए, साथ ही न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी गंभीर प्रतिबंध लगाए गए। आरएसएस नेता ने कहा कि आपातकाल के दौरान बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गई। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने यह कृत्य किया, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं, लेकिन उन्होंने अब तक माफी नहीं मांगी है। उनका कहना था कि इन लोगों को माफी मांगनी चाहिए।

संविधान के निर्माण में बाबासाहेब आंबेडकर का दृष्टिकोण

दत्तात्रेय होसबाले ने यह भी कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने जब संविधान तैयार किया था, तो उसमें ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द नहीं थे। उनके अनुसार, संविधान में इन शब्दों का समावेश नहीं किया गया था, क्योंकि संविधान की प्रस्तावना का उद्देश्य देश की राजनीति और समाज के मूल सिद्धांतों को निर्धारित करना था। होसबाले ने यह भी कहा कि इन शब्दों को इमरजेंसी के दौरान जोड़ना एक असंवैधानिक कदम था।

समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता पर आरएसएस का दृष्टिकोण

आरएसएस के महासचिव का मानना है कि समाजवादी और धर्मनिरपेक्षता के शब्द संविधान में होने के बजाय, इन्हें सैद्धांतिक रूप से और एक आस्थागत विचार के रूप में समझा जाना चाहिए। उनका मानना है कि ये शब्द आज की समय में और समाज के लिए लागू नहीं हैं, क्योंकि भारत की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष और समरस समाज की बन चुकी है, जहां हर व्यक्ति को अपनी आस्था और धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है।

होसबाले ने कांग्रेस से माफी की मांग की

राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए होसबाले ने कहा कि आपके पूर्वजों ने आपातकाल जैसे कदम उठाए थे, इसलिए आपको इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी कार्यक्रम के दौरान इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा 50 साल पहले लगाए गए आपातकाल की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के 21 महीने के आपातकाल के दौरान किए गए अत्याचारों को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता।

गडकरी ने कांग्रेस पर कसा तंज, आपातकाल को लेकर किया हमला

नितिन गडकरी ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने और जनता की आवाज दबाने के लिए 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की, जिससे संविधान की मूल भावना का उल्लंघन हुआ। उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान संविधान में कई संशोधन किए गए और इसके प्रावधानों को नकारा गया। गडकरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने हमारे खिलाफ अभियान चलाया और कहा कि हम संविधान बदल देंगे, जबकि हमने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा और न ही हमारी ऐसी कोई इच्छा है। गडकरी ने कहा कि अगर संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघन किसी ने किया, तो वह इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस थी।

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp