प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जैन धर्म के महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करेंगे। यह कार्यक्रम विज्ञान भवन में होगा, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे। पूरे वर्ष के दौरान देश भर में सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। इस समारोह का उद्देश्य न केवल आचार्य विद्यानंद जी महाराज के जीवन और विरासत को याद करना है, बल्कि उनके शाश्वत संदेश को व्यापक दर्शकों तक पहुँचाना भी है।
पीएम मोदी लोगों को संबोधित भी करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में जैन धर्म के महान संत और समाज सुधारक आचार्य विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित शताब्दी समारोह का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर पीएम मोदी लोगों को संबोधित भी करेंगे। यह समारोह भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
कौन है आचार्य विद्यानंद जी महाराज?
आचार्य विद्यानंद जी महाराज का जन्म 1925 में हुआ था। उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवन अहिंसा, सत्य, करुणा और समाज कल्याण के लिए समर्पित रहा। वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि एक प्रभावशाली लेखक, शिक्षाविद और समाज सुधारक भी रहे। उन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास पर विशेष कार्य किए।
एक वर्ष तक चलेगा यह राष्ट्रीय आयोजन
यह समारोह एक दिन का नहीं, बल्कि एक वर्ष तक चलने वाला राष्ट्रीय कार्यक्रम होगा, जिसके अंतर्गत पूरे देश में सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य आचार्य जी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना और उनके आदर्शों को आज की पीढ़ी के सामने लाना है।
उद्घाटन समारोह का प्रमुख केंद्र: विज्ञान भवन, नई दिल्ली
इस समारोह के उद्घाटन अवसर पर भारत सरकार की ओर से आचार्य विद्यानंद जी की स्मृति में एक विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया जाएगा। यह न केवल उनके सम्मान का प्रतीक होगा, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी बनेगा।
शैक्षिक और साहित्यिक पहल भी होंगी शामिल
इस आयोजन के अंतर्गत पुस्तक विमोचन, संगोष्ठी, व्याख्यान, शोध पत्र प्रस्तुतियाँ और छात्रों के लिए नैतिक शिक्षा विषयक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इससे जैन दर्शन और आचार्य जी की शिक्षाओं को नए दृष्टिकोण से समझने का अवसर मिलेगा।
पूरे वर्ष किये जाएंगे आध्यात्मिक जागरूकता और सेवा के कार्य
पूरे वर्ष भर ध्यान शिविर, सामूहिक प्रार्थना, सेवा कार्य और उपदेश श्रृंखलाएं आयोजित की जाएंगी, जिससे लोगों में आत्मिक शांति, सामाजिक समरसता और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।
समाज के लिए संदेश: सादगी, सेवा और समर्पण
आचार्य विद्यानंद जी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सादगी, सेवा और समर्पण के साथ जिया गया जीवन समाज को दिशा देता है। उनकी शिक्षाएं आज के समय में और भी प्रासंगिक हैं, जब दुनिया भौतिकता से ऊपर उठकर अध्यात्म और मूल्यों की ओर लौटने की आवश्यकता महसूस कर रही है।
आयोजकों की अपील: बनें इस श्रद्धांजलि का हिस्सा
भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट और आयोजकों ने देशवासियों से अपील की है कि वे इस वर्षभर चलने वाले कार्यक्रम का हिस्सा बनें, अपने-अपने क्षेत्रों में जैन संत के विचारों को फैलाएं और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर समाज निर्माण में योगदान दें।
आचार्य विद्यानंद ने ही किया था जैन ध्वज का डिजाइन
1975 में भगवान महावीर के 2,500वें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर, आचार्य विद्यानंद जी ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए सभी प्रमुख जैन संप्रदायों की सहमति से आधिकारिक जैन ध्वज और प्रतीक को डिज़ाइन कर प्रस्तुत किया। उनके प्रयासों से तैयार किया गया पाँच रंगों वाला ध्वज और हाथ के चिन्ह में लिखा “अहिंसा” का प्रतीक आज जैन समुदाय की पहचान का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और धार्मिक परंपराओं में गहराई से समाहित हो गया है।